नीति आयोग और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (WRI), इंडिया, ने मिलकर ‘फोरम फॉर डीकार्बोनाइजिंग ट्रांसपोर्ट’ की शुरुआत की है. इसे NDC की एशियाई देशों के लिए यातायात पहल के तहत 23 अगस्त को लॉन्च किया गया है.
क्या है जरूरत
देश का ट्रांसपोर्ट सेक्टर काफी बड़ा और विविध है. इसी के साथ कार्बन डायऑक्साइड पैदा करने में हम तीसरे स्थान पर हैं. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी और पर्यावरण और वन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, ट्रांसपोर्ट सेक्टर के CO2 एमिशन में सड़क परिवहन की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से अधिक है.
पहल का लक्ष्य
देश में EV सेक्टर के जोर पकड़ने के लिए ऐसे कदम उठाए जाने की जरूरत है. तभी स्टेकहोल्डरों के लिए अनुकूल माहौल बन सकेगा. पहल के जरिए सभी स्टेकहोल्डर्स को एक कॉमन प्लैटफॉर्म देने की कोशिश की जा रही है.
प्लेटफॉर्म से यूनिफॉर्म पॉलिसी तैयार करने में मदद मिलेगी. साथ ही ट्रांसपोर्ट सेक्टर के कार्बन एमिशन को घटाया भी जा सकेगा.
प्रोजेक्ट के जरिए एशिया में यातायात से होने वाले CHG एमिशन का स्तर घटाने की कोशिश की जा रही है. इन्हीं के कारण वातावरण दूषित होता है.
केंद्र इसपर जोर दे रहा है, ताकि भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर को क्लीन और एनर्जी-एफीशियंट बनाया जा सके. साथ ही इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.
क्या है प्लान
ट्रांसपोर्ट सेक्टर के कारण वातावरण में फैलने वाली दूषित गैस की समस्या लंबे समय से बनी हुई है. इसके खिलाफ कई मोर्चों पर कमर कसने की जरूरत है. फोरम के जरिए देश की यातायात सुविधा को पर्यावरण के अनुकूल तैयार किया जाएगा. अलग-अलग विचारधारा वालों को साथ लाकर एक इंटीग्रेटेड रास्ता निकाला जाएगा.