1 अप्रैल से नया वेज कोड (New Wages Code) लागू होना था, लेकिन नोटिफिकेशन नहीं आने की वजह से यह टल गया. लेकिन, अगले दो महीने में इस लागू करने की प्लानिंग है. जुलाई से नया वेज कोड लागू हो सकता है. मतलब साफ है कि नौकरीपेशा के लिए जुलाई का महीना काफी अहम रहने वाला है. दरअसल, वेज कोड आने के बाद नया सैलरी स्ट्रक्चर भी इंट्रोड्यूस होगा. केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इसके लिए दो महीने की डेडलाइन तैयार कर दी है. कंपनियों को भी इन दो महीने में ही अपना सिस्टम अपडेट करना होगा. दावा किया जा रहा है कि दो महीने में न्यू वेज कोड लागू (New Wages Code) कर दिया जाएगा.
सरकार ने 29 केंद्रीय लेबर कानूनों को मिलाकर 4 नए कोड (New Wages Code) बनाए हैं. इनमें इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (OSH), सोशल सिक्योरिटी कोड और कोड ऑन वेजेज शामिल हैं. लेबर कोड्स में कुछ नए कॉन्सेप्ट लाए गए हैं. लेकिन, सबसे बड़ा बदलाव ‘वेज’ की परिभाषा के विस्तार का है. नए लेबर कोड का मकसद कंसोलिडेशन पर है. सैलरी का 50 फीसदी सीधे तौर पर वेजेज में शामिल होगा. बता दें, संसद से श्रम सुधारों से जुड़े नए कानून पास हो चुके हैं. अब इन्हें लागू करना है.
EPFO बोर्ड मेंबर और भारतीय मजदूर संघ के जनरल सेक्रेटरी विरजेश उपाध्याय ने Money9 को बताया श्रम कानूनों में 4 लेबर कोड शामिल हैं. इन चारों को किस तरह लागू किया जाएगा यह तय होना है. श्रम मंत्रालय जल्द ही चारों कोड के अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी करेगा. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इन कोड्स को लागू करने के लिए दो महीने का वक्त दिया है. जुलाई तक सभी कंपनियों को भी अपने-अपने स्तर पर सॉफ्टवेयर में बदलाव करने होंगे. अप्रैल तक इंडस्ट्रीज और कंपनियां इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं थीं. इसलिए इसमें देरी हुई है. लेकिन, जुलाई में इसे लागू करने के लिए काफी तेजी से काम करना होगा.
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बदलेगा आपका सैलरी स्ट्रक्चर नए लेबर कोड्स (New labour codes) में आपका सैलरी स्ट्रक्चर भी बदल जाएगा. नौकरीपेशा की सैलरी में अलाउंस 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होंगे. 50 फीसदी हिस्सा बेसिक+महंगाई भत्ता जोड़कर रखा जाएगा. इसके अलावा बाकी अलाउंसेज 50 फीसदी हिस्से में आएंगे. बेसिक सैलरी बढ़ने से कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड में भी इजाफा होगा. मतलब उनका प्रोविडेंट फंड भी बढ़ जाएगा. इसके अलावा ग्रेच्युटी में भी बढ़ोतरी हो जाएगी. श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, संगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए इंश्योरेंस पर भी विचार किया जा रहा है. वहीं, असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी नया वेज कोड लागू होगा. कर्मचारियों की सैलरी और बोनस से जुड़े प्रावधान भी बदलेंगे. इससे हर इंडस्ट्री, कंपनियों या फिर ट्रेड में काम करने वाले कर्मचारियों को एक समान सैलरी मिलेगी.
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