कोविड-19 की दूसरी लहर में देश के 420 डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई है. ये दूसरों की जान बचाने में खुद को नहीं बचा पाए. देश को भी ऐसे लोगों के लिए कुछ करना चाहिए जिन्होंने बेहद मुश्किल हालात में देश की सेवा की है.
इस दफा डॉक्टर्स डे (Doctors’ Day) पर उनका धन्यवाद देने के लिए हेलीकॉप्टरों से उन पर फूल बरसाने या बालकनियों में किए जाने वाले दिखावे की जरूरत नहीं है.
इसकी बजाय हमें उनके प्रति उदार बनना पड़ेगा. भारत को डॉक्टरों और उनके परिवारों को सुरक्षित करने और इन्हें बढ़ावा देने के लिए योजना बनानी होगी.
डॉक्टरों के कामकाज को बेहद जोखिम भरा मानते हुए उनको इंश्योरेंस से इनकार नहीं किया जाना चाहिए. भारत को चाहिए कि डॉक्टर भी अपने घर पर परिवार के साथ डिनर कर सकें और उन्हें भरोसा हो कि अस्पताल में उनकी जगह मरीजों को देखने वाला कोई दूसरा योग्य डॉक्टर मौजूद है.
भारत को पुख्ता करना होगा कि डॉक्टर देश में ही सेवा देने को तरजीह दें और वे विदेश न जाएं.
क्या हम डॉक्टर्स डे (Doctors’ Day) को डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने, उनकी एजूकेशन, योग्यता और स्कॉलरशिप जैसी चीजों को सुनिश्चित करने के वादे के साथ मना सकते हैं?
सरकार हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर पर अरबों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन पैसे से डॉक्टर पैदा नहीं हो सकते हैं. सरकार को ऐसा ईकोसिस्टम बनाना होगा जहां पर क्वालिटी मेडिकल एजूकेशन बच्चों को मिल सके. अच्छे डॉक्टर तैयार हो सकें.
जो लोग डॉक्टर बन जाते हैं वे एक वक्त के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने लगते हैं. निजी क्लीनिक पर निवेश करना महंगा सौदा है. इसके चलते डॉक्टर्स मोटी फीस लेते हैं और इस वजह से समाज का एक बड़ा तबका अच्छे इलाज से वंचित रह जाता है.
इस डॉक्टर्स डे (Doctors’ Day) पर क्या सरकार योग्य डॉक्टरों को मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए इंटरेस्ट फ्री लोन मुहैया कराने का वादा कर सकती है. साथ ही क्या इन डॉक्टरों की फीस पर कोई हद लगाई जा सकती है जिससे कि सबको सस्ता इलाज मिल सके?
इस डॉक्टर्स डे (Doctors’ Day) पर सरकारी अस्पतालों को भी असली डिग्री वाले वास्तविक डॉक्टरों से भरने की जरूरत है. प्रभावशाली लोगों और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भर्तियों को रोकना होगा. हर राज्य में जिला स्तर पर जिम्मेदारी तय करनी होगी.
एक राष्ट्र के तौर पर हमें हर दिन डॉक्टरों को थैंक्स बोलना चाहिए. डॉक्टरों ने हमारे किसी न किसी परिचित, परिवारीजन को बचाया होगा. और ऐसा केवल महामारी के दौरान ही नहीं हुआ होगा.