टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिए गए सायरस मिस्त्री ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी निराशा जाहिर की है. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी अंतरआत्मा साफ है और उन्हें अपने नेतृत्व के दौरान लिए गए बदलावों के फैसलों को लेकर कोई संदेह नहीं है.
गुजरे शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के उस आदेश को पलट दिया था जिसमें मिस्त्री को टाटा संस का एग्जिक्यूटिव चेयरमैन बनाने का निर्देश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने टाटा ग्रुप की दायर की गई अपीलों को भी मंजूरी दे दी थी.
मिस्त्री ने एक बयान में कहा है, “समाज का हर तबका कोर्ट जैसे संस्थानों की ओर अपने कार्यों और मान्यताओं को वैधता और मंजूरी के लिए देखता है. टाटा संस के एक माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के तौर पर मैं निजी तौर पर फैसले से निराश हूं.”
उन्होंने आगे कहा है, “हालांकि, मैं टाटा ग्रुप के गवर्नेंस में सीधे तौर पर दखल नहीं दे पाऊंगा, लेकिन मुझे उम्मीद है कि जिन मसलों के लिए मैंने आवाज उठाई है वे बदलाव लाने के लिए लोगों को प्रभावित करेंगे. मैं एक स्पष्ट अंतरआत्मा के साथ सोता हूं.”
शुक्रवार को चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रह्मण्यम की बेंच ने टाटा ग्रुप की अपीलों को मंजूरी दे दी थी.
कोर्ट ने कहा, “सभी कानूनी सवालों के जवाब टाटा ग्रुप के हक में जाते हैं और टाटा ग्रुप की फाइल की गई अपीलें मंजूर की जाती हैं और शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप की अपीलें खारिज की जाती हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 10 जनवरी को टाटा ग्रुप को तब राहत दी थी जब कोर्ट ने NCLAT के उस आदेश पर स्टे लगा दिया था जिसमें मिस्त्री को टाटा संस के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर बहाल करने की बात कही गई थी.