दो बेटे और छोटी बच्ची को गवाने के दर्द के साथ जी रही 77 साल की बूजुर्ग महिला, जिसने दो हार्ट ऐटेक जेले है और डायाबिटिस भी है. ये पढते ही आपके जेहन में किसी थकी-हारी बुढी औरत का खयाल आता है, लेकिन हम जिनकी बात कर रहे है वह इतनी मुश्किलों के बीच भी हंसती हुई और 27 साल के युवा को भी थका देने वाली दादी है. बुढापे में जब इंसान शांति से जीवन गुजारने के बारे में सोचता है, तब मुंबई में रहने वाली 77 साल की उर्मिलाबेन जमनादास आशर ने खुद का कारोबार शुरु किया है और हर महीने ढाई लाख का टर्नओवर करती है. हफ्ते में 85 घंटे काम करके भी न थकने वाली ये गुजराती दादी के बुलंद हौंसले देख TEDx प्लेटफोर्म ने उन्हें निमंत्रण भेजा है.
“शादी के कुछ साल बाद इमारत की दीवाल ढहने से मेरी ढाई साल की बेटी की मौत हो गई. मेरा एक बेटा 45 साल की उम्र में ब्रेन ट्यूमर से और दूसरा बेटा हार्ट अटैक से भगवान को प्यारा हो गया,” ऐसा दादी बताती है. परिवार खराब हालात से गुजर रहा था तब दादी ने हौंसला रखा और पति, दो बहु एंव पोते हर्ष को कभी पैसो की कमी महसूस नहीं होने दी. मुश्किलों की बीच दादी ने हर्ष को MBA करवाया. हालांकि, 2019 में एक दुर्घटना में हर्ष ने अपना ऊपरी होंठ खो दिया. चेहरा बिगडने से हर्ष आइडेंटिटी क्राइसिस का शिकार बन गया और डिप्रेशन में चला गया. ऐसे में दादी ने हिम्मत बढ़ाई और बिजनेस करने का हौंसला दिया. हर्ष ने धीमे धीमे कारोबार शुरु ही किया था कि, 2020 में लोकडाउन लग गया और परिवार में अकेले कमाने वाले हर्ष की कमाई बंध हो गई.
लॉकडाउन में जब लोग बेकार थे और सरकार से मदद की आश लगाए बैठे थे, तब दादी ने खाने-पीने का बिजनेस शुरु किया. “दादी खाना बनाने में मास्टर है. उनके खाने का कोई जवाब नहीं. लोकडाउन में मैंने दादी के हाथो से बने अचार की फोटो इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दी. लोगों ने काफी अच्छा रिस्पोंस दिया और हमें ये बिजनेस शुरु करने का खयाल आया,” ऐसा 30 साल के हर्ष बताते है. दादी को कूकिंग का 40 साल का अनुभव है. दादी ने लंडन और पोर्तुगल में भी रिश्तेदारों के लिए खाना बनाया है.
अचार के बाद हमने सूखा और गर्म नाश्ता भी बनाना शुरू किया. दादी के हाथ का लजीज खाना आज मुंबई में काफी फेमस हो चुका है. “लोकडाउन में मेरे पति की कपडों की दुकान बंध हो गई तो दादी ने हमें हिंमत दी और कहा कि चिंता मत करो कुछ नया करते है,” ऐसा दादी के कारोबार में साथ देने वाली पूनम उदेशी बताती है.
मुंबई के चार्मी रोड एरिया में छोटे से मकान में रहती दादी ने नुक्कड पे ‘गुज्जुबेन ना नाश्ता’ नाम से स्टोर शुरु किया है. पूनम बताती है, “हम बडे किचन में शिफ्ट होकर बिजनेस बढाना चाहते है. अचार, चिप्स, खाखरा, कुकीज जैसे सूखे नाश्ते से लेकर साबुदाना की खीचडी, चपाटी, पोहा, दहीं वडा, पनीर, मटर की सब्जी जैसे गर्म खाने की रेसिपीज दादी बनाती है और हम सब उन्हे मदद करते है. हर्ष मार्केटिंग काम संभालते है.”
उर्मिलाबेन सबेरे 5 बजे से रात के 9 बजे तक काम करती है. दादी की एनर्जी को देख उनके साथ काम करने वाले कहते है कि हम थक जाते है लेकिन दादी नहीं थकती. चाहे कितना भी बडा ऑर्डर हो, दादी कभी मना नहीं करती. उनका एक ही जवाब होता है, हो जाएगा.
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