आने वाले दिनों में अगर आप किसी दुकान पर कोई मेडिकल उपकरण खरीदने जाएंगे तो आपको ऊपर पैकिंग पर ही प्रोडक्ट से जुड़ी तमाम जानकारियां मिल जाएंगी. सरकार इसकी तैयारी कर रही है. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि मेडिकल डिवाइस की पैकिंग के ऊपर खुदरा कीमत, किस देश में प्रोडक्ट बना है, इसका आकार कितना है और कस्टमर केयर से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराई जाएं.
देश में लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के तहत व्यापार और बिक्री के लिए वजन और माप मानकों को स्थापित करना, नियंत्रित करना और लागू करना अनिवार्य है. कई बार ऐसा देखा गया है कि अस्पतालों और खुदरा परिसरों में या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मेडिकल उपकरणों को एमआरपी से ज्यादा दाम पर बेचा जाता है. इन्हें खुला बेचकर मनचाहे दाम वसूले जाते हैं. लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट और पैकेज्ड कमोडिटी नियमों के अनुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है.
बता दें इससे पहले एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AiMeD), एसोसिएशन ऑफ डायग्नोस्टिक मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इंडिया (ADMI), और सर्जिकल ड्रेसिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SDMAI) ने अनुरोध किया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों के लिए पैकेज्ड कमोडिटी नियमों में संशोधन करने की अनुमति दी जाए. ये नियम 10 सालों से भी ज्यादा समय से और इन संगठनों के कहने पर ही उपभोक्ता मामलों के विभाग को इन्हें रेगुलेट करने का अधिकार दिया गया है. संगठनों का कहना है कि उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता मामलों के विभाग के पास इस तरह के अधिकार रहने चाहिए.
क्या होगा फायदा?
स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सा उपकरणों को लेकर भारी फर्जीवाड़ा सामने आया था. देश में कुछ कंपनियां बड़े ब्रांडों के नाम पर नकली सीरिंज और अन्य उपकरण महंगे दाम बेच रहे थे. इसमें डाक्टरों की साठगांठ भी सामने आई थी. नकली और असली उत्पादों की कीमत में कई गुना तक का अंतर होता है. मरीजों को सस्ते उत्पाद ऊंची कीमतों पर बेचे जा रहा थे. नए नियम आने से इस तरह की मनमानी पर रोक लगेगी.