भारत में करोड़ों देवी-देवताओं की पूजा होती है, लेकिन जैसी अनुभूति भगवान शिव (Lord Shiva) को लेकर होती है वैसी कम ही देवी-देवताओं को लेकर होती है. महाकाल, महादेव, देवादिदेव, अपने क्रोध से सबकुछ भस्म करने और तांडव के लिए शिव को जाना जाता है और उन्हें बेहद भोले, उदार और प्रसन्न होने पर राक्षसों तक को मनचाहे वरदान देने वाला भी माना जाता है.
प्राचीन काल से ही शिव (Lord shiva) का जादू भारत में लाखों-करोड़ों लोगों को अपनी ओर खींचता रहा है. लेकिन, नई पीढ़ी का युवा और खासतौर पर 2000 के बाद पैदा हुआ शहरी मिनेलियल्स का तबका अंग्रेजी में लिखे गए फिक्शन से शिव की एक छवि गढ़ रहा है. मौजूदा आधुनिक दौर में यह वाकई चौंकाने वाली बात है. साथ ही इस पूरी हलचल के लिए अगर किसी एक शख्स को क्रेडिट जाता है तो वे लेखक अमीष त्रिपाठी (Amish Tripathi) हैं. त्रिपाठी ने शिव पर तीन किताबों की श्रृंखला के जरिए उन्हें अलग तरह की दैवीय शख्सियत के तौर पर खड़ा किया है. अमीष त्रिपाठी की शिव पर लिखी गई तीनों किताबें बेस्ट सेलिंग रही हैं.
मेलुहा के मृत्युंजय, नागाओं के रहस्य और वायुपत्र की शपथ- ये तीन किताबें हैं. इन किताबों को वेस्टलैंड ने छापा है. वेस्टलैंड के सीईओ त्रिपाठी की इन तीनों किताबों की लोकप्रियता की तुलना संगीत की दुनिया में बीटल्स के साथ कर चुके हैं.
जुलाई 2019 में जारी आंकड़ों के मुताबिक, त्रिपाठी की छह किताबें HT-नील्सन बुकस्कैन की नेशनल बेस्टसेलर लिस्ट में टॉप 10 में शामिल हैं. इनमें शिव पर लिखी गई तीनों किताबें भी शामिल हैं. यहां ये भी देखना अहम है कि त्रिपाठी की किताबों को ऐसे वक्त पर लोकप्रियता मिली है जबकि वैश्वीकरण के बाद के दौर में लोग इतिहास में पीछे जाकर अपनी जड़ें तलाशने और अपने खोेये हुए नायकों में अपना गौरव ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. एक विद्रोही, ध्यान में लीन और बुराई का खात्मा करने वाले शिव नई पीढ़ी की सोच में फिट बैठते हैं.
पूर्व केंद्रीय संस्कृति सचिव और प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार इस बात से सहमति जताते हैं. वे कहते हैं, “सदियों से शिव एक चमत्कृत करने वाले हिंदू भगवान के तौर पर लोगों के मन में प्रतिष्ठित हैं. उनमें प्यार और युद्ध दो विरोधाभासी चीजों का मेल मिलता है. उनमें अपनापन भी है और क्रोध की अग्नि भी. उनका पार्वती के साथ विवाह का भी किस्सा भी लोगों को चौंकाता है और भूत-प्रेतों के स्वामी के तौर पर उनका डर भी है.”
सरकार कहते हैं कि यहां तक कि अंग्रेजी शिक्षित शहरी युवा जो कि अपने देश की संस्कृति और धर्म से अक्सर एक दूरी बनाए दिखाई देता है, वह भी शिव का तगड़ा भक्त बन गया है. और इस सबके लिए हमें अमीष त्रिपाठी को धन्यवाद कहना चाहिए.
शिव एक जबरदस्त विद्रोही हैं, ऐसे में युवाओं के लिए उनसे बड़ा नायक कौन हो सकता है? सरकार कहते हैं, “वे विद्रोही हैं और उनका व्यवहार कर्तव्यों से बंधे हुए भगवान विष्णु से उलट है.”
सरकार यह भी बताते हैं कि किस तरह से बंगाल में भगवान शिव को एक उदार मोटे किसान के तौर पर दिखाया जाता है जो कि गांजा फूंकते हैं और अपने सहयोगियों के साथ नाचने में तल्लीन हो जाते हैं. गांव में उनकी पत्नी पार्वती उनके पीछे भागती दिखाई देती हैं. सरकार बताते हैं कि किस तरह से मध्यकालीन बंगाल में किसानों के बीच शिव का यह किसान वाला अवतार बेहद लोकप्रिय है.
युवाओं के बीच शिव की लोकप्रियता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि इतिहास पर कई मशहूर किताबें लिख चुके विलियम डेलरिंपल तक ने अपने ट्विटर हैंडल से लोगों को महाशिवरात्रि की बधाई दी है. उन्होंने कालिंजर, नाचना, उदयगिरि और ग्वालियर में पिछले 10 दिनों में खींची भगवान शिव की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं. अमिताभ बच्चन और अजय देवगन जैसे बॉलिवुड सितारों ने भी लोगों को महाशिवरात्रि की बधाई दी है.
पुरातन कथाओं, पुराण और भित्तिललेखों में विशेषज्ञता रखने वाले नृसिंह प्रसाद भादुड़ी हालांकि, मानते हैं कि धर्म और मिथकीय चरित्र हर दौर में मशहूर रहते हैं, लेकिन वे अंग्रेजी के आधुनिक और क्रिएटिव लेखकों के इन चरित्रों को जिस तरह से पेश किया जा रहा है उससे असहमति जताते हैं.
भादुड़ी कहते हैं, “मुझे नहीं पता कि ये लेखक पुरातन कथाओं और पुराणों के बारे में कितनी जानकारी रखते हैं. मुझे ये पक्का पता है कि इन उपन्यासों के ज्यादातर लेखकों ने पुराण नहीं पढ़े होंगे. लेखक चरित्रों को उठाते हैं और उनमें सिनेमाई चीजें जोड़ देते हैं ताकि अपने काम को बेच सकें.”