झारखंड उच्च न्यायालय ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) को करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में दुमका कोषागार से गबन के मामले में शनिवार को करीब चालीस माह बाद जमानत दे दी. अदालत ने उन्हें दस लाख रुपये जुर्माने की राशि जमा करने, विदेश नहीं जाने और मोबाइल नंबर नहीं बदलने की शर्त के साथ एक-एक लाख रुपये के दो निजी मुचलकों पर जमानत दी है. उनका अभी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विग्यान संस्थान में न्यायिक हिरासत में इलाज चल रहा है.
न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो के विरोध को दरकिनार करते हुए लालू प्रसाद को जमानत दे दी.
लालू देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपये की राशि के गबन के आरोप में यहां सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराये जाने के बाद से जेल में थे.
सोमवार को सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत में जमानत बांड, निजी मुचलके आदि की प्रक्रिया पूरी कर लेने पर उनके रिहा हो जाने की संभावना है क्योंकि चारा घोटाले के अन्य तीन मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है. लालू के स्थानीय अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने कहा कि लालू की रिहाई के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई सोमवार को सीबीआई अदालत खुलने पर पूरी कर लिये जाने की संभावना है.
अदालत में शनिवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से केन्द्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव सिन्हा ने लालू प्रसाद को फिलहाल जमानत देने का यह कह कर विरोध किया कि दुमका कोषागार मामले में उन्हें 14 वर्ष की जेल की सजा सुनायी है लिहाजा जमानत के लिए आधी सजा पूरी करने का आधार तभी माना जायेगा जब लालू इस मामले में न्यायिक हिरासत में सात वर्ष की अवधि पूरी कर लेंगे.
लालू (Lalu Yadav) की ओर से दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआई की दलील का विरोध किया और कहा कि 19 फरवरी को उच्च न्यायालय ने स्वयं माना था कि लालू को जमानत देने के लिए सिर्फ एक माह, 17 दिनों की न्यायिक हिरासत की अवधि और पूरी करनी है. सिब्बल ने कहा कि लालू ने दुमका मामले में तय सात वर्ष की कैद की सजा की आधी अवधि छह अप्रैल को ही पूरी कर ली है.
पीठ ने यह भी कहा कि 19 फरवरी के आदेश को सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती भी नहीं दी है लिहाजा अब तक की परंपरा के अनुसार चारा घोटाले के किसी मामले में सजा की आधी अवधि न्यायिक हिरासत में पूरी कर लेने के चलते लालू को दुमका कोषागार से गबन के मामले में जमानत दी जाती है. न्यायालय ने आदेश में लालू की 73 वर्ष की उम्र एवं उनकी बीमारियों का भी जिक्र किया है.
अदालत ने उन्हें जमानत के लिए दुमका मामले में जुर्माने की साठ लाख रुपये की राशि में से दस लाख रुपये की रकम निचली अदालत में जमा करवाने और एक-एक लाख रुपये के दो निजी मुचलके देने के भी निर्देश दिये.
लालू (Lalu Yadav) को निचली अदालत में अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा और जमानत की अवधि में वह बिना अनुमति के विदेश यात्रा नहीं कर सकेंगे. लालू इस दौरान न तो अपना पता बदल सकेंगे और न ही मोबाइल फोन नंबर बदल सकेंगे.
लालू को चाईबासा के दो मामलों में और देवघर कोषागार से गबन के मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है लिहाजा इस मामले में जमानत मिलने के बाद वह न्यायिक हिरासत से छूट सकेंगे.
इससे पूर्व 19 फरवरी को दुमका मामले में ही सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने लालू की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि उन्होंने इस मामले में उन्हें मिली सजा की आधी अवधि अभी पूरी नहीं की थी.
इससे पूर्व निमोनिया की शिकायत पर बेहतर इलाज के लिए उन्हें 23 जनवरी को रांची स्थित राजेन्द्र आयुर्विग्यान संस्थान (रिम्स) से एयर एंबुलेंस से एम्स ले जाया गया था.