सरकार ने सोमवार को कहा है कि रणनीतिक सेक्टर की सरकारी सेक्टर (Government sector) की कंपनी के विनिवेश होने पर सरकार नौकरियां खत्म नहीं होने देगी. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे किसी भी विनिवेश (Government sector) में कर्मचारियों को मिल रही सुविधाएं जारी रहें.
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल में बताया कि सरकार की एक स्पष्ट और पारदर्शी विनिवेश टीम है.
एटोमिक एनर्जी, स्पेस और डिफेंस, ट्रांसपोर्ट और टेलीकम्युनिकेशंस, पावर, पेट्रोलियम, कोल और अन्य मिनरल्स और बैंकिंग, इंश्योरेंस और फाइनेंशियल सर्विसेज को रणनीतिक सेक्टर माना गया है. उन्होंने कहा कि इन्हें छोड़कर बाकी सभी सेक्टर गैर-रणनीतिक सेक्टरों में आते हैं.
ठाकुर ने कहा, “अगर केंद्रीय पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का निजीकरण होता है या इनमें रणनीतिक बिक्री होती है तो सेल-परचेज एग्रीमेंट में यह स्पष्ट रूप से रहेगा कि इसमें कोई भी जॉब लॉस न हो और कर्मचारियों को सभी सुविधाएं मिलती रहें.”
ठाकुर ने कहा कि उनका निजी तौर पर मानना है कि विनिवेश से निवेश, टेक्नोलॉजी, नौकरियों के मौके आएंगे और पॉलिसी में भी इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र है.
उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर नई नौकरियां पैदा होंगी और रोजगार कम नहीं होंगे.” अनुराग ठाकुर समाजवादी पार्टी के नेता विशंभर प्रसाद निषाद के उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें पूछा गया था कि सरकारी कंपनियों के निजीकरण से आरक्षण और प्रॉविडेंट फंड जैसी सुविधाओं का क्या होगा?
निषाद ने एक पूरक सवाल भी पूछा कि सरकार ने 2014 के बाद से कितनी सरकारी यूनिट्स खड़ी की हैं और इनसे लोगों के लिए कितनी नौकरियां पैदा हुई हैं. अनुराग ठाकुर ने दोहराया कि विनिवेश की नीति स्पष्ट और पारदर्शी है.
उन्होंने कहा, “रणनीतिक सेक्टरों में देशहित के लिए हम कम से कम एक कंपनी चलाना जारी रखेंगे. अगर किसी खास सेक्टर में कई कंपनियां होंगी तो सरकार के लिए उस कारोबार में रहने की कोई जरूरत नहीं है. सरकार का काम कारोबार करना नहीं है.”
2021-22 के लिए सरकार ने 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है.