डायरेक्ट टैक्स, विशेष रूप से इनकम टैक्स संग्रह में वृद्धि हुई है. यहां तक की व्यक्तिगत आयकर संग्रह कॉर्पोरेट टैक्स से अधिक हो गया है. लेकिन इसके बावजूद केंद्रीय वित्त मंत्रालय को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. इसका कारण है नया आयकर पोर्टल. जिस कंपनी ने दुनिया में भारत की छवि एक सॉफ्टवेयर पावरहाउस के रूप में बनाई, उस इंफोसिस को इस पोर्टल को विकसित करने का जिम्मा सौंपा गया. विडंबना यह है कि इस पोर्टल की लॉन्चिंग के बाद से ही करदाताओं को इस पोर्टल पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ये गड़बड़ियां किसी के पिछले साल के रिटर्न चेक करने से लेकर पिछले साल का रिटर्न जमा करने जैसी सभी सेवाओं में देखी जा रही हैं. मुसीबतें इतनी बड़ी थीं कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कंपनी के अधिकारियों के साथ दो बार बैठकें करने के लिए मजबूर होना पड़ा. एक बार गैर-कार्यकारी अध्यक्ष नंदन नीलेकणी के साथ और दूसरी बार मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख के साथ वित्त मंत्री ने बैठक की.
नाराज सीतारमण ने इस असफलता पर सरकार की शर्मिंदगी को नहीं छिपाया. 23 अगस्त को उन्होंने इंफोसिस को गड़बड़ियों को हल करने के लिए 15 सितंबर की समयसीमा दी है. जब पारेख ने कहा कि उन्होंने समस्या से निपटने के लिए 750 कर्मचारियों को तैनात किया है, तो उन्हें जरूरत पड़ने पर और संसाधनों को लगाने के लिए कहा गया.
कंपनी अपना काम करने की कोशिश कर रही है और सरकार को आयकर रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को 30 सितंबर से आगे बढ़ा देना चाहिए. भले ही इंफोसिस नई समय सीमा तक समस्याओं को दूर करने में कामयाब हो जाती है, लेकिन आम आदमी को टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए केवल 15 दिनों के लिए ही परेशानी मुक्त पोर्टल मिलेगा.
कई लोगों को दस्तावेज जमा करने होते हैं और आयकर वकीलों और पेशेवरों के पास जाना पड़ता है, जबकि कई स्वयं रिटर्न जमा करने का प्रयास करते हैं. जिन लोगों को नए पोर्टल को स्वयं नेविगेट करना होगा, बिना किसी संदेह के, उनके लिए यह एक आसान काम नहीं होगा. महामारी से बुरी तरह प्रभावित आम आदमी एक बार फिर से अपना जीवन व्यवस्थित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. वित्त मंत्री कम से कम यह तो कर ही सकती हैं कि समय सीमा बढ़ा दी जाए. पिछले साल सरकार ने वित्त वर्ष 2020 के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम समय सीमा 10 जनवरी, 2021 तय की थी.