असंगठित क्षेत्र के श्रमिक पुरातन काल से ही उपेक्षित रहे हैं. विभिन्न सरकारों द्वारा उनके संकटों को कम करने के लिए की गई कई उपायों की घोषणाओं के बावजूद, इन श्रमिकों में से अधिकांश इन उपायों का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं. ई-श्रम पोर्टल का लक्ष्य 38 करोड़ असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत करते हुए उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस देश में 92% कार्यबल असंगठित हैं और न्यूनतम मजदूरी व किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं. यह निश्चित रूप से एक ऐसे राष्ट्र के लिए अच्छी स्थिति नहीं है, जो आर्थिक विकास के तेज और समावेशी रास्ते की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहा है.
असंगठित क्षेत्र के श्रमिक जब संकट में हों और उन्हें सहायता की जरूरत हो, तो उन्हें ट्रैक करने व सरकारी अधिकारियों को उन तक पहुंचाने के लिए एक सिंगल प्वाइंट रेफरेंस के रूप में दो महीने पहले यह पोर्टल लॉन्च किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित कामगारों का डाटाबेस तैयार करने में हो रही देरी पर सवाल उठाया था. शीर्ष अदालत के दबाव के बाद यह पोर्टल लॉन्च हुआ.
योजना की सफलता के लिए ट्रेड यूनियनों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी और सरकारी अधिकारियों को उनके साथ मिलकर काम करना होगा. इस पहल को ठंडे बस्ते में जाने से बचाने के लिए इसके क्रियान्वयन में शामिल विभिन्न एजेंसियों के बीच उच्च-डेसिबल जागरूकता अभियान और समन्वय होना चाहिए. शिक्षा की कमी और इन सुविधाओं तक पहुंचने में असमर्थता इस तरह की पहल को पटरी से उतार सकती है.
देश को समृद्ध बनाने के लिए पिरामिड के निचले भाग में रह रहे लोगों को नहीं छोड़ा जा सकता है. घातक कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप के बीच यह विकास उनके लिए समय पर प्रोत्साहन के रूप में आना चाहिए. अगर देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ना है, तो ब्लू कॉलर वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र के लोगों को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता है.