बाजार नियाम सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड में निवेश के खर्च को लेकर एक बार फिर प्रस्ताव जारी किया है. इसके तहत सभी म्यूचुअल फंड्स स्कीम के लिए एकसमान टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) लागू किया जाएगा. इससे म्यूचुअल फंड निवेशकों को राहत मिल सकती है. नियामक ने टीईआर तय करने के लिए जारी परामर्श पत्र को लेकर जनता की राय भी मांगी है.
इस प्रस्ताव में सभी म्यूचुअल फंड्स स्कीम के लिए खर्च की लागत का अनुपात एकसमान करने का सुझाव दिया गया है. साथ ही म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए वसूली जाने वाली फीस को उनके प्रदर्शन से जोड़ने का प्रस्ताव है. इस बारे में सेबी ने जनता की राय मांगी है. बता दें कि इससे पहले भी सेबी ने इसी तरह का प्रस्ताव पेश किया था. अगर यह प्रस्ताव लागू होता है इससे म्यूचुअल में निवेश की लागत घट जाएगी. म्यूचुअल फंड कंपनी को किसी योजना का प्रबंधन करने के लिए जो खर्च करना पड़ता है उसे टीईआर कहते हैं. इसमें फंड मैनेजर की फीस और मार्केटिंग आदि के खर्च शामिल होते हैं.
कैसा रहा प्रदर्शन?
सेबी का मानना है कि फंड मैनेजरों को निवेशकों से तभी फीस लेनी चाहिए, जब वे बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करने में सफल हों. एमएफ स्कीम के खराब प्रदर्शन को लेकर निवेशकों की बढ़ती चिंता और इक्विटी बाजारों में बढ़ती अस्थिरता ने उन्हें पैसिव स्कीम में निवेश को मजबूर कर दिया है. सेबी के विश्लेषण के मुताबिक करीब 73% नियमित योजनाओं ने पांच साल में अपने बेंचमार्क से कमजोर प्रदर्शन किया है. ये आंकड़ा फरवरी तक का है. 10 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह 60% था. वहीं पांच साल में करीब 55 फीसद डायरेक्ट स्कीम ने खराब प्रदर्शन किया, जबकि 34 फीसद ने 10 साल में अंडरपरफॉर्म किया.
प्रस्ताव के मुताबिक परफॉर्मेंस लिंक्ड टीईआर को ओपन-एंडेड इक्विटी योजनाओं के लिए लागू किया जा सकता है. स्कीम्स के तय बेंचमार्क से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करने और रिटर्न देने पर एएमसी इस पर ज्यादा शुल्क ले सकते हैं. वैकल्पिक तौर पर नियामक, एएमसी को पहले से निर्धारित शुल्क से ज्यादा फीस वसूलने की अनुमति दे सकता है. इस तरह का उच्च प्रबंधन शुल्क निश्चित दर या रिटर्न-शेयरिंग दोनों तरह के मॉडल पर लागू हो सकता है.
सेबी की दो सिफारिशें
पहली सिफारिश के मुताबिक निवेशक जितनी अवधि के लिए निवेशित रहता है, उसके आधार पर एक्सपेंस रेशियो फीस ली जाएगी. वहीं एग्जिट के समय अगर स्कीम का प्रदर्शन तय सीमा से ज्यादा रहा है तो प्रबंधन शुल्क लिया जाएगा और बाकी राशि निवेशक को दे दी जाएगी. वहीं अधिकतम शुल्क को फंड मैनेजरों की ओर से लिए जाने वाले ज्यादा जोखिम से रोकने के लिए रखा जाएगा. दूसरे प्रस्ताव के तहत उच्च व्यय सीमा तय की जा सकती है. फंड हाउस योजना के पिछले वर्ष के प्रदर्शन के आधार पर प्रबंधन शुल्क सहित टीईआर चार्ज कर सकता है. वहीं योजना के खराब प्रदर्शन पर एक्सपेंस रेशियो को बरकरार रखा जाएगा और शेष राशि निवेशक के स्कीम से एग्जिट के समय वापस कर दी जाएगी.