बच्चों का भविष्य संवारने के लिए म्यूचुअल फंड अच्छे विकल्प साबित हो रहे हैं. लंबी अवधि में इन योजनाओं ने लघु बचत योजनाओं की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है. बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने बच्चों के लिए किसी भी तरीके से म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए किए जाने वाले भुगतान और पैसा निकासी को लेकर अहम फैसला किया है. निवेश से जुड़े नए नियम 15 जून से लागू होंगे.
क्या हैं बदलाव
नए नियम के अंतर्गत अब नाबालिग बच्चे के बैंक खाते के अलावा दूसरे खाते से भी निवेश किया जा सकता है. नाबालिग के माता-पिता या कानूनी अभिभावक के बैंक खाते अथवा संयुक्त खाते से भी निवेश के लिए पैसा जमा कराया जा सकेगा. माता-पिता के लिए अब बड़ी सहूलियत यह होगी कि वह अपने खातों से सीधे बच्चों के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकेंगे. इसके लिए वे भुगतान का विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे. पहले अभिभावकों को यह सुविधा नहीं थी.
बच्चे के खाते में जाएगा
सेबी ने कहा है कि बच्चे के नाम पर माता-पिता या अभिभावक के नाम से निवेश तो किया जा सकता है लेकिन मैच्योरिटी के समय धनराशि बच्चे के बैंक खाते में ही जाएगी. अगर बच्चे का बैंक खाता नहीं है तो एनएवी को रिडीम नहीं कराया जा सकता है. मौजूदा म्यूचुअल फंड फोलियो के लिए सेबी ने कहा है कि वह निकासी प्रक्रिया से पहले भुगतान के लिए सत्यापित बैंक खाते की जानकारी उपलब्ध कराने पर जोर दें. नाबालिग के नाम पर किए गए म्यूचुअल फंड निवेश का पैसा केवल नाबालिग के सत्यापित खातों में ही जाएगा. यानी अभिभावक निवेश अपने खातों से कर सकेंगे, मगर पैसा सीधे अपने खातों में नहीं ले सकेंगे.
क्या होगा फायदा?
अभी तो जो माता-पिता अपने छोटे बच्चों के नाम से म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत करते थे उससे पहले उन्हें उसका बैंक में खाता खुलवाना पड़ता था. बहुत से लोग छोटे बच्चे को लेकर बैंक में चक्कर नहीं काटना चाहते थे. इस वजह से वह निवेश की योजना टाल देते थे. नए नियमों के तहत माता बच्चे की छोटी आयु में ही उसके नाम से निवेश कर सकेंगे. इससे निवेश के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ेगा. पिछले म्यूचुअल फंड के टॉप 10 लार्जकैप फंड में पिछले पांच साल में 15 से 17 फीसद का रिटर्न दिया है जबकि स्माल सेविंग स्कीम में यह रिटर्न 7.5 फीसद तक के स्तर पर है. निश्चित रिटर्न वाली योजनाओं की तुलना में म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प हैं. पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि अब माता-पिता बच्चे के जन्म से ही उसके नाम से म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत कर सकेंगे. इससे बच्चे के लिए उच्च शिक्षा के लिए पैसे जोड़ने में आसानी होगी.