महिला दिवस पर दिव्या दत्ता के दिल की बात- किसी एक दिन तक सीमित नहीं हम

International womens day- अगर सब एक समान हो जाएंगे तो चीजें कितनी खूबसूरत होंगी. हर दिन को महिला दिवस के रूप में मनाना चाहिए.

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8 मार्च यानि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International women’s day). खास मौकों पर खास लोगों की बात जरूर होती है. क्योंकि, ये होते हैं दुनिया के लिए प्रेरणा स्रतोत. क्योंकि, इन्हें देखकर भी कुछ लोग अपने जीवन के लक्ष्यों को तय करते हैं. बॉलीवुड या यूं कहें रुपहेला पर्दे पर दिखने वाले अदाकार अपनी खास छाप छोड़ते हैं. इनमें से ही एक अदाकारा ने महिला दिवस के मौके पर Money9 के साथ शेयर की अपने दिल की बात. हम बात कर रहे हैं नेशनल अवार्ड विजेता दिव्या दत्ता (Divya Dutta) की.

Money9 की पर्सनल फाइनेंस एडिटर प्रियंका संभव के साथ खास बातचीत में दिव्या दत्ता ने बताया कि उनके फिल्मी करियर में कौन से सबसे प्रभावशाली दो कैरेक्टर यानि किरदार रहे जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद हैं. दिव्या दत्ता (Divya Dutta) ने कहा- जितने भी किरदार होते हैं, उनमें ज्यादातर किरदारों से कनेक्ट बन जाता है. क्योंकि, कनेक्ट नहीं होगा तो फिल्म करने का कोई फायदा नहीं. फिर भी कुछ रोल्स ऐसे थे, जो शायद मेरे जैसे नहीं थे, लेकिन उन्हें अपनाया और उनकी जिंदगी को महसूस भी किया. इनमें दिल्ली-6 का किरदार और भाग मिल्खा भाग का इश्री कौर का किरदार सबसे ज्यादा अहम था. ये जिंदगियां किसी और की हैं, उनकी लाइफ को जीना या निभाना बहुत अच्छा अनुभव रहा.

दिव्या दत्ता के लिए महिला दिवस (International Women’s Day) का मतलब है कि महिलाओं के लिए एक दिन काफी नहीं है. लेकिन, सोशल मीडिया के जरिए जिस तरह का कड़ी जुड़ती है, जिस तरह इसे सेलिब्रेट किया जाता है, उससे साफ है इसे लेकर अवेयरनेस आई है. ये भी एक खास पहलु है, जिसे इग्नोर नहीं करना चाहिए. अगर सब एक समान हो जाएंगे तो चीजें कितनी खूबसूरत होंगी. हर दिन को महिला दिवस के रूप में मनाना चाहिए. किसी एक दिन के लिए सीमित नहीं रखना चाहिए.

दिव्या दत्ता के मुताबिक, महिलाओं से जुड़ी कोई चीज बदलनी हो तो उसमें मर्दों की मनोस्थिति बदलना ज्यादा जरूरी है. हम जो भी सीखते हैं, वो ही हम बाहर भी जाहिर करते हैं. जो घर पर दिखता है उसे ही आगे लेकर चला जाता है. क्योंकि, देश के कई हिस्सों में आज भी ऐसी चीजें देखने को मिलती हैं, जहां रेप या दहेज जैसी घटनाएं सामने आती हैं. लेकिन, इस पर ध्यान देने की जरूरत है. अपने आसपास के लोगों को सीखाना जरूरी है.

इक्वल पे (Equal pay) की लड़ाई में महिलाओं कहा खड़ी होती हैं. दिव्या दत्ता के मुताबिक, अभी कुछ टाइम से काफी बदलाव आया है. चाहे वो एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की बात करें या फिर कॉरपोरेट हर जगह बदलाव आया है. लेकिन, अभी भी काफी कुछ करना बाकी है.

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Published - March 8, 2021, 04:49 IST