सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया है कि कुछ मौकों को छोड़कर पिछले सात वर्षों में महंगाई (Inflation) कम रही है. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार इसे और नीचे लाने के लिए कदम उठा रही है. ठाकुर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) में खाद्य पदार्थों की महंगाई की दर महीने-दर-महीने के आधार पर गिरावट दिखा रहे हैं. कमोडिटीज, अनाज, मांस और मछली, अंडे, सब्जियां और दालों की कीमतें जनवरी-फरवरी के दौरान नीचे आई हैं.
राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “ओवरऑल महंगाई की दर (Inflation rate) पिछले 7 वर्षों में कम रही है. लेकिन, कुछ दफा कीमतों में उछाल आया है. ऐसा कोविड-19 की वजह से सप्लाई में पैदा हुई दिक्कतों और मांग में उछाल आने की वजह से हुआ है.”
उन्होंने कहा कि 2013-14 में महंगाई की दर (Inflation rate) दहाई के अंक में थी. इसके मुकाबले अब महंगाई कम है. हालांकि, सरकार इसे और नीचे लाने की कोशिश कर रही है. ठाकुर ने कहा कि सरकार ने ऑयलसीड्स और दालों के आयात को घटाने और देश में ही इनका उत्पादन बढ़ाने के उपाय किए हैं. सरकार इनके लिए किसानों को ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दे रही है.
हालांकि, फरवरी में खुदरा और थोक महंगाई दोनों के आंकड़े बढ़े हैं. इसके अलावा, अर्थव्यवस्था को आईआईपी के आंकड़ों से भी झटका लगा है. फरवरी में थोक महंगाई दर बढ़कर 4.17 फीसदी पर पहुंच गई है. यह लगातार दूसरा महीना है जबकि थोक महंगाई दर (WPI) में तेजी दर्ज की गई है. खाने–पीने की चीजों, ईंधन और पावर की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के चलते थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ है.
इस साल जनवरी में WPI महंगाई 2.03 फीसदी थी और पिछले साल फरवरी में यह 2.26 फीसदी पर थी. फरवरी में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर फरवरी में 5.03 फीसदी पर रही है. वहीं, आर्थिक गतिविधियों का सूचकांक IIP (इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल ऑउटपुट) जनवरी में सिकुड़ा है. जनवरी में IIP माइनस 1.6 फीसदी पर रही है. मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटेस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन ने ये आंकड़े जारी किए हैं.