पिछले कई महीनों से महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों को और झटके लग सकते हैं. दिवाली बीत चुकी है और अब कई सेक्टर की कंपनियां अपने-अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने की तैयारी में हैं. दिवाली से चंद दिनों पहले अमूल और मदर डेयरी ने दूध के दाम बढ़ाए, अब एफएमसीजी (FMCG) कंपनियां दाम बढ़ाने की तैयारी में हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान भारत में पॉम ऑयल 22 फीसदी महंगा हो गया है. FMCG कंपनियां पहले ही साफ कर चुकी थीं कि वे दाम बढ़ाने के लिए दिवाली के गुजरने का इंतजार कर रही थीं. दरअसल हिंदुस्तान यूनिलीवर, विप्रो कंज्यूमर केयर, मैरिको, गोदरेज कंज्यूमर और ब्रिटानिया जैसी FMCG कंपनियां कच्चे माल के लिए पॉम ऑयल पर काफी निर्भर रहती हैं.
पॉम ऑयल के दाम 20 फीसदी तक बढ़ने की आशंका
इन कंपनियों को आशंका है कि पॉम ऑयल के दाम अभी 20 फीसदी तक और चढ़ सकते हैं. ऐसे में उनके सामने दाम बढ़ाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है. कंपनियां इसकी शुरुआत डिस्काउंट को वापस लेने से करेंगी. आम लोगों की चिंता यहीं तक सीमित नहीं है. पॉम ऑयल के अलावा, गेहूं और चावल जैसे अनाज भी हालत बिगाड़ रहे हैं. सरकार के प्रयासों के बाद भी गेहूं के दाम पर लगाम नहीं लगी है. पिछले कुछ समय में गेहूं और चावल दोनों महंगा हुआ है. ये दोनों ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले अनाज हैं.
गेहूं की थोक कीमतें करीब 25 फीसदी बढ़ी
हालांकि सरकार बार-बार कह रही है कि इनकी कीमतों में बढ़ोतरी सामान्य है, लेकिन बाजार पर इसका असर नहीं हो रहा है. हालात यह है कि इस साल अभी तक गेहूं की थोक कीमतें करीब 25 फीसदी बढ़ चुकी हैं. जनवरी में इसका भाव 2174 रुपये क्विंटल था, जो अभी 526 रुपये बढ़कर 2700 रुपये पर पहुंच गया है. खुदरा बाजार में इसका भाव करीब 12 फीसदी चढ़कर 31 रुपये किलो के पार निकल गया है. इसके कारण आने वाले दिनों में आटा से लेकर चावल तक महंगा हो सकता है. जिसकी कीमत आम लोगों को चुकानी पड़ेगी.
2 महीने में सीमेंट करीब 6 फीसदी महंगा हो गया
रुपए की कमजोरी आयातित महंगाई को भी बढ़ा सकती है. यानी कंज्यूमर ड्यूरेबल से लेकर तमाम वे चीजें जो कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर हैं, उनके दाम बढ़ सकते हैं. एक चिंता सीमेंट की भी है. यहां भी कमतें बढ़ने की आशंका गहरी है. आईआईएफएल (IIFL) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में सीमेंट की औसत कीमत 6 रुपये प्रति बोरी बढ़ी. इसके बाद अक्टूबर में औसत कीमत 15 रुपये बोरी बढ़ी, इसका मतलब हुआ कि दो महीने में सीमेंट करीब 6 फीसदी महंगा हो गया. अभी दिसंबर तक सीमेंट के दाम और बढ़ने की आशंका है.
जनवरी से ही खुदरा महंगाई 6 फीसदी से ज्यादा
सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 7.4 फीसदी रही. इस तरह लगातार तीन तिमाही में खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के दायरे से बाहर रही. इस साल की शुरुआत यानी जनवरी 2022 से ही खुदरा महंगाई 6 फीसदी से ज्यादा बनी हुई है. हालात ऐसे हो गए हैं कि अब रिजर्व बैंक को इस मुद्दे पर सरकार को सफाई देनी पड़ेगी.
महंगाई को काबू करने के लिए हुए ये प्रयास
महंगाई को काबू करने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ने कई प्रयास किए हैं. सरकार ने जहां गेहूं समेत कई खाने-पीने की चीजों के निर्यात पर पाबंदियां लगाईं. वहीं पॉम ऑयल जैसे खाद्य तेलों के लिए आयात शुल्क में कटौती की. रिजर्व बैंक भी अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रहा है. महंगाई को काबू करने के लिए मई से अब तक रेपो रेट को 1.90 फीसदी बढ़ाया जा चुका है. हालांकि, ये सारे प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं, क्योंकि महंगाई अभी भी आम लोगों का जीना मुहाल कर रही है. अब तो इस बात की भी आशंका है कि आने वाले महीनों में महंगाई की मार और बढ़ सकती है.