स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा पूंजी हमेशा से एक बड़ा मसला रही है. स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा रकम- ये एक ऐसा मसला है जिसे लेकर सदियों से राजनीतिक बखेड़ा खड़ा होता रहा है. आम लोगों में भी इसे लेकर हमेशा हैरानी और जिज्ञासा रहती है क्योंकि बड़े लेवल पर ये माना जाता है कि स्विस बैंकों में जमा पैसा कालाधन है जो कि भ्रष्टाचार और दूसरे काले कारनामों के जरिए कमाकर वहां जमा कराया गया है.
भारतीयों के 20,700 करोड़ रुपये जमा
अब इसी कड़ी में गुरुवार को एक और बड़ा आंकड़ा आया है. स्विट्जरलैंड के सेंट्रल बैंक के जारी किए गए सालाना आंकड़ों से पता चल रहा है कि 2020 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा रकम उछलकर 20,700 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गई है.
इस उछाल में ज्यादा बढ़ोतरी सिक्योरिटीज और इसी तरह के दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स की वजह से हुई है, जबकि कस्टमर डिपॉजिट्स में गिरावट आई है. खास बात ये है कि महामारी के साल में स्विस बैंकों में जमा होने वाली इस रकम में ये तगड़ा इजाफा हुआ है.
स्विस बैंकों में लोग भारत में इन बैंकों की शाखाओं और दूसरे वित्तीय संस्थानों के जरिए भी डिपॉजिट करते हैं.
13 साल के रिकॉर्ड पर पहुंचे जमा
गौरतलब है कि 2019 के अंत में स्विस बैंकों में भारतीय क्लाइंट्स के जमा फंड्स 6,625 करोड़ रुपये पर थे. खास बात ये भी है कि 2020 में डिपॉजिट में बढ़ोतरी दो साल के गिरावट के ट्रेंड के बाद आई है और इस उछाल के साथ भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा पैसा 13 साल के रिकॉर्ड पर पहुंच गया है.
13,500 करोड़ रुपये बॉन्ड और दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स में
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक (SNB) आंकड़ों के मुताबिक, 2020 के अंत में भारतीय क्लाइंट्स के खातों में बकाया रकम 20,708 करोड़ रुपये थी. इसमें से 4,000 करोड़ रुपये कस्टमर डिपॉजिट के तौर पर, 3,100 करोड़ रुपये दूसरे बैंकों के जरिए, 16.5 करोड़ रुपये ट्रस्ट के जरिए और 13,500 करोड़ रुपये बॉन्ड, सिक्योरिटीज और दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के तौर पर मौजूद थे.
ये आधिकारिक आंकड़े बैंकों ने SNB को मुहैया कराए हैं और इनसे भारतीयों के स्विस बैंकों में जमा कालेधन का पता नहीं चलता है.
इन आंकड़ों में थर्ड-कंट्री इकाइयों के नाम पर भारतीयों, NRI और अन्य की स्विस बैंकों में जमा पूंजी शामिल नहीं है.
कालेधन का मसला
स्विस अथॉरिटीज ने हमेशा से कहा है कि स्विट्जरलैंड में भारतीयों की संपत्ति को कालाधन नहीं माना जा सकता है और वे टैक्स फ्रॉड और कर चोरी के खिलाफ जंग में भारत का सक्रिय रूप से सपोर्ट कर रहे हैं.
2018 से जारी है सूचनाओं का आदान-प्रदान
2018 से ही भारत और स्विट्जरलैंड के बीच टैक्स मामलों को लेकर सूचनाओं का ऑटोमैटिक रूप से आदान-प्रदान जारी है. इस फ्रेमवर्क के तहत 2018 से स्विस फाइनेशियल इंस्टीट्यूशंस में खाते रखने वाले सभी भारतीय नागरिकों की विस्तृत वित्तीय जानकारियां पहली दफा भारतीय कर अधिकारियों को सितंबर 2019 और इसके बाद से दिया जाना शुरू हो गया है.
इसके अलावा, स्विट्जरलैंड सक्रिय रूप से वित्तीय गड़बड़ियां करने वाले भारतीयों के खातों की भी जानकारियां भारत सरकार को मुहैया करा रहा है.