image, pixabay: आरबीआई ने कैलिब्रेटेड तरीके (calibrated manner) से तरलता के अपने असाधारण इंजेक्शन (extraordinary injection of liquidity) को सामान्य (normalising) करना शुरू कर दिया है.
भारतीय एसेट मैनेजमेंट मार्केट 50 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए हैं. इसमें खास बात ये है कि डेट और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में गुजरे छह वर्षों में डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की गई है. ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म मैककिंसी एंड कंपनी ने एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरे छह वर्षों में यानी 2015-16 से लेकर 2020-21 (दिसंबर 2020 तक 9 महीनों में) के बीच डेट फंड्स के तहत एसेट्स 4 फीसदी की सालाना कंपाउंडेड रेट से बढ़े हैं.सरकारी सिक्योरिटीज में पैसा लगाने वाले गिल्ट फंड्स और डेट आधारित म्यूचुअल फंड्स भी इसी कैटेगरी में आते हैं.
इक्विटी फंड्स
इक्विटी फंड्स में AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) में जबरदस्त तेजी आई है. इस अवधि में इन फंड्स में 20 फीसदी का तेज उछाल आया है. मैककिंसी ने इस कैटेगरी में इक्विटी और बैलेंस्ड MF को शामिल किया है.
ETF
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में AUM में 62 फीसदी का तेज उछाल आया है. इसकी बड़ी वजह कम बेस का होना है. भारत में पहला ETF 2001 में लॉन्च हुआ था.
लिक्विड फंड्स और की सालाना ग्रोथ 20 फीसदी रही है और यही ग्रोथ इक्विटी फंड्स में AUM की रही है.
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के तहत एसेट्स में भी इसी दौरान CAGR 17 फीसदी का इजाफा हुआ है.
2020 में PMS
कोविड के दौर में 2020-21 के शुरुआती 9 महीनों में डेट और इक्विटी MF की AUM में क्रमशः 18% और 25% हिस्सेदारी रही है. जबकि PMS की 28 फीसदी के साथ सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रही है.
मैककिंसी ने कहा है कि देश में MF इंडस्ट्री में रिटेल भागीदारी में तेज ग्रोथ के बावजूद इस सेक्टर में ग्रोथ की काफी संभावनाएं हैं.
ग्रोथ की संभावनाएं
रिटेल AUM को GDP के फीसदी रूप में एक बेंचमार्क के तौर पर इस्तेमाल करते हुए मैककिंसी ने कहा है कि हालांकि, US में ये शेयर 71 फीसदी है, वहीं भारत में ये केवल 6 फीसदी है. कनाडा में MF में रिटेल AUM की हिस्सेदारी GDP का 64 फीसदी है.
हालांकि, भारत में रिटेल सेगमेंट में AUM संस्थागत खातों से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है.