देश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले सरकार हर हाल में बढ़ती महंगाई को रोकना चाहती है. इसके लिए बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाकर खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने की योजना है. पिछले महीने खाद्य महंगाई की वजह से ही खुदरा महंगाई 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. महंगाई पर काबू पाने के लिए भारत सरकार रूस से सस्ता गेहूं आयात करने के लिए बातचीत कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक रूस से आने वाला सस्ता गेहूं सरकार को बाजार में हस्तक्षेप करने में मदद करेगा. बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ने से इसकी बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाया जा सकेगा. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में गेहूं की कीमत बढ़ रही है. इस वजह से देश में भी गेहूं महंगा बिक रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार प्राइवेट कारोबारियों और सरकार दोनों से गेहूं आयात करने की संभावना तलाश रही है. गेहूं आयात का फैसला काफी सोच समझकर लिया जाएगा. भारत ने राजनायिक तरीके से पिछले कई सालों से गेहूं का आयात नहीं किया है. अंतिम बार भारत ने 2017 में गेहूं के आयात को मंजूरी दी थी. तब व्यापारियों ने 53 लाख टन गेहूं का आयात किया था.
सूत्रों ने बताया कि प्रमुख जिंसों जैसे ईंधन, अनाज और दालों की कीमत को कम करने के लिए सरकार की योजना आपूर्ति बढ़ाने के उपायों के तहत रूस से सस्ता गेहूं आयात करने की है. इस कदम के जरिय सरकार गरीबों पर महंगाई के असर को कम करने के लिए ग्रामीण योजनाओं के विस्तार पर भी ध्यान दे रही है.
रूस से सस्ता गेहूं आयात करने पर फैसला अगले एक-दो हफ्ते में होने की संभावना है. गेहूं की कमी को दूर करने के लिए भारत को 30 से 40 लाख टन गेहूं की जरूरत है, लेकिन सरकार रूस से 80 से 90 लाख टन गेहूं आयात करने पर विचार कर रही है. ताकि बाजार में आपूर्ति बढ़ाकर गेहूं की कीमतों पर अधिक प्रभाव डाला जा सके. पिछले साल यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयातक बन गया है. सरकार रूस से बड़ी मात्रा में सस्ता तेल खरीद रही है.
रूस ने भी बाजार से कम दाम पर गेहूं उपलब्ध कराने की इच्छा जताई है. रूस से खाद्य जिंसों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है. भारत रूस से सूरजमुखी तेल का भी आयात कर रहा है. एक वैश्विक ट्रेड हाउस के मुंबई स्थित डीलर ने बताया कि भारत को रूसी गेहूं पर आराम से 25 से 40 डॉलर प्रति टन का डिस्काउंट मिल सकता है. डिस्काउंट के साथ रूस से भारत आने वाले गेहूं की कीमत स्थानीय कीमत से कम होगी.
पिछले दो महीने में गेहूं की थोक कीमत करीब 10 फीसदी बढ़ी है. सीमित आपूर्ति के चलते अगस्त में गेहूं की कीमत सात महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई. एक अगस्त को सरकार के पास गेहूं का 2.83 करोड़ टन स्टॉक था. जो साल के औसत से 20 फीसदी कम है. पिछले साल, कम उत्पादन की वजह से भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, और इस साल भी गेहूं का उत्पादन सरकार के अनुमान से 10 फीसदी कम रहने की आशंका है.