WMO की चौंकाने वाली रिपोर्ट! प्राकृतिक आपदाओं से भारत को हुआ ₹65,000 करोड़ का नुकसान

WMO Report: स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के बाद ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला भारत दूसरा देश है

india lost 65000 crore rupees last year due to natural calamities, says wmo report

ग्लासगो में हुई ग्लोबल समिट में ग्लोबल क्लाइमेट क्राइसिस पर भी गहन चर्चा हुई. आर्कटिक सर्कल के भीतर कई स्थानों पर अत्यधिक गर्मी दर्ज की गई

ग्लासगो में हुई ग्लोबल समिट में ग्लोबल क्लाइमेट क्राइसिस पर भी गहन चर्चा हुई. आर्कटिक सर्कल के भीतर कई स्थानों पर अत्यधिक गर्मी दर्ज की गई

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से 2020 में भारत को लगभग 87 अरब डॉलर (6535 करोड़) का नुकसान हुआ है.

लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने अपनी स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया रिपोर्ट में कहा कि चीन के बाद ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला भारत दूसरा देश है, जिसे 238 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. जापान में ये घाटा 85 अरब डॉलर से थोड़ा कम था.

सूखे से सबसे ज्यादा नुकसान

इन आपदाओं में सूखे ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया. रिपोर्ट में कहा गया कि 2020 एशिया के लिए सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया गया था, जिसका औसत तापमान 1981-2010 की अवधि के औसत से 1.39 डिग्री सेल्सियस अधिक था.

इस सप्ताह के अंत में ग्लासगो में हुई ग्लोबल समिट में ग्लोबल क्लाइमेट क्राइसिस पर भी गहन चर्चा हुई. आर्कटिक सर्कल के भीतर कई स्थानों पर अत्यधिक गर्मी दर्ज की गई, रूस में वर्खोयांस्क में अब तक का सबसे अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी और दक्षिण एशियाई में ग्रीष्मकालीन मानसून असामान्य रूप से सक्रिय थे. बार-बार आने वाले चक्रवात, बाढ़ और भूस्खलन के कारण लोगों की जान चली गई और राष्ट्रों में व्यापक विस्थापन भी हुआ.

मजबूत तूफान था अम्फान

रिपोर्ट में कहा गया है कि चक्रवात अम्फान, अब तक के सबसे मजबूत तूफानों में से एक है, जिसकी वजह से मई 2020 में भारत और बांग्लादेश में फैले दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव वन सुंदरबन में क्रमशः 2.4 मिलियन और 2.5 मिलियन लोगों को विस्थापित किया गया.

सतह के तापमान में वृद्धि के साथ, हिंद महासागर भी प्रशांत और आर्कटिक के साथ-साथ तेजी से गर्म हो रहा है. एशिया के चारों ओर समुद्र की सतह का तापमान अपने ग्लोबल एवरेज से तीन गुना तेजी से बढ़ रहा था, खासकर अरब सागर में. समुद्री सतह गर्म होने से ही भीषण तूफानों की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं.

खाद्य सुरक्षा और पोषण की गति भी वैश्विक स्तर पर धीमी पड़ रही है. पिछले साल, दक्षिण-पूर्व एशिया में 48.8 मिलियन लोग, दक्षिण एशिया में 305.7 मिलियन और पश्चिम एशिया में 42.3 मिलियन लोग कुपोषित थे. रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य सुरक्षा और पोषण के असर का अध्ययन किया जाना बाकी है.

Published - October 27, 2021, 03:07 IST