India-China Border Dispute: गलवान घाटी (Galvan Valley)में हुए चीन-भारत संघर्ष (India-China border dispute)के बाद देशवासियों ने चीन को करारा जवाब दिया है. इस हिंसा के बाद 43 फीसदी लोगों ने चीन का सामान नहीं खरीदा. इसका खुलासा एक सर्वे में हुआ है. वहीं जिन लोगों ने सामान खरीदा भी, उनमें 70 फीसदी का कहना था कि उन्होंने प्रॉडक्ट के मुकाबले उसकी कीमत को देखते हुए यानी किफायत की वजह से सामान खरीदा.
लोकल सर्कल्स के सर्वे में ये बात सामने आई है. सर्वे में सामने आया है कि चीनी सामान ( Chinese Goods) खरीदने वाले 70 प्रतिशत भारतीय कम कीमत व गुणवत्ता आदि के चलते खरीदी करते है.
इस सर्वे में 281 जिलों में रहने वालों लोगों की 18 हजार प्रतिक्रियाएं ली गईं. प्रतिक्रिया देने वालों में 33 फीसद महिलाएं व 67 फीसद पुरुष थे. 44 फीसद लोग टियर एक, 31 फीसद टियर दो व 25 फीसद टियर तीन, चार और ग्रामीण इलाकों से थे.
40 फीसदी लोगों ने खासियत और 38 फीसदी ने बेहतर क्लाविटी की वजह से सामान खरीदा. हालांकि, चीन के सामान खरीदने वाले 60 फीसदी ने सिर्फ 1-2 आइटम ही खरीदे. सिर्फ 1 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने पिछले एक साल में 20 से ज्यादा चीनी आइटम खरीदे. इसी तरह 15 से 20 चाइनीज आइटम खरीदने वालों की संख्या भी इतनी ही थी.
बता दें कि एक साल पहले लद्दाख की गलवान घाटी में चीन भारत की सीमा में घुस आया था. इसके चलते बीते वर्ष भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प हो गई थी. इस झड़प में भारत के कई जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनातनी बढ़ गई थी. इसके बाद देश में चीन में बने सामान के बहिष्कार की मांग ने भी जोर पकड़ा था. लोगों ने चीन के बने सामान खरीदने बंद कर दिए थे. सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर लोगों ने मुहिम चलाई थी.