अब हवा से लॉन्च किए जाने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करेंगे भारत और अमेरिका

भारत और अमेरिका ने हवा से लॉन्च करने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए हैं.

अब हवा से लॉन्च किए जाने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करेंगे भारत और अमेरिका

PBNS, भारत और अमेरिका ने हवा से लॉन्च किए जाने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करने के लिए एक समझौता किया है.

PBNS, भारत और अमेरिका ने हवा से लॉन्च किए जाने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करने के लिए एक समझौता किया है.

एक ओर जहां सरकार ड्रोन को लेकर नियम बना रही है वहीं दूसरी ओर भारत और अमेरिका ने हवा से लॉन्च किए जाने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करने के लिए एक समझौता किया है. दोनों देश द्विपक्षीय रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) के समग्र ढांचे के तहत 11 मिलियन डॉलर की प्रारंभिक लागत पर प्रोटोटाइप एएलयूएवी विकसित करने के लिए काम करेंगे. भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रालयों ने इस संबंध में एक परियोजना समझौते (पीए) पर हस्ताक्षर किए हैं.

एएलयूएवी को विमान पर बम की तरह ले जाकर हवा से किया जाएगा लॉन्च

भारतीय वायु सेना की तरफ से उप वायुसेना प्रमुख (योजना) एयर वाइस मार्शल नरमदेश्वर तिवारी और अमेरिकी वायु सेना की तरफ से एयर फोर्स सिक्योरिटी असिस्टेंस एंड कोऑपरेशन डायरेक्टोरेट के निदेशक ब्रिगेडियर जनरल ब्रायन आर. ब्रकबॉवर ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. दोनों अधिकारी डीटीटीआई के तहत गठित संयुक्त कार्य समूह के सह अध्यक्ष हैं. मानव रहित विमानों में ड्रोन आदि भी शामिल हैं. यह समझौता रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) के हवाले से संयुक्त वायु प्रणाली कार्य समूह के तहत किया गया है. भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रालयों के बीच हुए अनुसंधान, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन (आरडीटी-एंड-ई) समझौते के दायरे में एएलयूएवी को रखा गया है.

जनवरी 2006 में समझौते पर किए गए थे हस्ताक्षर

इस समझौते पर सबसे पहले जनवरी 2006 में हस्ताक्षर किए गए थे. इसके बाद 2012 में लॉन्च की गई यह परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी थी. इसलिए जनवरी, 2015 को फिर समझौते का नवीनीकरण किया गया था. अब फिर से किया गया यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को और गहन बनाने की एक महत्वपूर्ण पहल है. मूल रूप से एएलयूएवी को एक विमान पर बम की तरह ले जाया जाएगा और पारंपरिक यूएवी के बजाय हवा से लॉन्च किया जाएगा. भारत और अमेरिका एयर-लॉन्च किए गए छोटे एरियल सिस्टम या ड्रोन स्वार्म पर भी चर्चा कर रहे हैं.

DTTI की बड़ी उपलब्धि

DTTI का मुख्य लक्ष्य सहयोगात्मक प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान तथा भारत और अमेरिकी सेना के लिए भावी प्रौद्योगिकियों के सह-उत्पादन और सह-विकास पर लगातार जोर देना है. DTTI के अंतर्गत थल, जल, वायु और विमान वाहक पोतों की प्रौद्योगिकियों के सम्बंध में एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया है, ताकि इन क्षेत्रों में आपसी चर्चा के बाद मंजूर होने वाली परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा सके. एएलयूएवी के बारे में किया गया परियोजना समझौता वायु प्रणालियों से जुड़े संयुक्त कार्य समूह के दायरे में आता है. यह DTTI की एक बड़ी उपलब्धि है.

डिजाइन, प्रदर्शन और परीक्षण में सहयोग करेंगे वायु सेना और DRDO

परियोजना समझौते में अमेरिका की एयर फोर्स रिसर्च लैबोरेट्री (एएफआरएल), भारतीय वायु सेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बीच सहयोग का खाका शामिल किया गया है. इसके तहत एएलयूएवी प्रोटोटाइप का डिजाइन तैयार करके उसका विकास, परीक्षण तथा मूल्यांकन किया जायेगा. DRDO की लैब वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) और AFRL के तहत एयरोस्पेस सिस्टम्स डायरेक्टोरेट, भारतीय और अमेरिकी वायुसेना इस परियोजना-समझौते को कार्यान्वित करने वाले मुख्य संगठन होंगे.

Published - September 5, 2021, 04:43 IST