विमानन क्षेत्र से जुड़े लोग कोविड-19 की तीसरी लहर की संभावना से चिंतित हो रहे होंगे, जिसकी सितंबर में आने की उम्मीद है. विडंबना यह है कि यह विमानन क्षेत्र ही था, जो पिछले साल दुनिया भर में वायरस के प्रसार के लिए काफी हद तक जिम्मेदार था. अब जाकर यात्रियों की संख्या में वृद्धि के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं. 7 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में रोज उड़ान भरने वालों की औसत संख्या 2,27,000 रही है. जुलाई महीने में कैपेसिटी डिप्लॉयमेंट एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 90% अधिक था.
इकरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के प्रकोप के कारण एयरलाइंस को इस वित्त वर्ष में लगभग 21,000 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा होने की आशंका है और अपने घाटे और कर्ज से उबरने के लिए वित्त वर्ष 2023 में 37,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी.
उड़ान भरने वालों की ओर से सतर्कता बरतने में कमी के कारण एयरलाइंस को और अधिक नुकसान होगा, क्योंकि सरकार तीसरी लहर में इस वायरस पर लगाम लगाने के लिए फिर से नए प्रतिबंधों को लागू करने पर मजबूर हो सकती है.
दो गज की दूरी के नियम का पालन हर किसी को करना चाहिए. बड़े हवाई अड्डों में दो गज की दूरी के नियमों को लागू करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर है, लेकिन छोटे हवाई अड्डे कोविड से जुड़े दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष करेंगे. हवाई यात्रियों को अधिक अनुशासित होने और स्थिति की गंभीरता को समझने की जरूरत है. देश एक और बड़े पैमाने पर व्यवधान बर्दाश्त नहीं कर सकता.
सामान्य स्थिति तभी वापस आ सकती है, जब नागरिक अनुशासन बरतें और कोविड के खतरे को रोकने के प्रयास करें. छोटे शहरों में उड्डयन क्षेत्र के विस्तार और इस क्षेत्र के लिए नए अवसरों को खोलने के सरकार के प्रयासों को केवल तभी गति मिलेगी, जब कम व्यवधान होगा. अन्यथा, यह क्षेत्र संघर्ष करता रहेगा और नागरिकों को अपरिपक्व और लापरवाह व्यवहार की कीमत भी चुकानी पड़ेगी.