कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर के बाद फ्रीलांसिंग (Freelancing) का काम हाल के दिनों में काफी लोग कर रहे हैं. ये काम काफी बढा भी है. ज्यादातर स्टार्टअप और कंपनियां अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए फ्रीलांसरों को हायर कर रही हैं. साथ ही यह एक ऐसा क्षेत्र है जो आज बहुत से युवाओं को आकर्षित कर रहा है. यह उन लोगों के लिए और भी अच्छा है जो फ्रीडम के साथ काम करना ज्यादा पसंद करते हैं और असाइनमेंट पूरा करने और जमा करने पर तुरंत पेमेंट मिल जाता है.
फ्रीलांसिंग (Freelancing) के जरिए काम करने वाले लोग कंपनी का कर्मचारी नहीं होता है और इसलिए उसे उसके पेरोल पर नहीं रखा जाता है. वह कंपनी अधिनियम द्वारा अनिवार्य रूप से भत्तों जैसे की प्रोविडेंट फंड प्राप्त करने का हकदार नहीं है. लेकिन भारत के आयकर नियमों के अनुसार कोई भी पर्सन जो मैन्युअल या बौद्धिक कौशल के माध्यम से कमाई करता हो उसकी इनकम टैक्स के दायरे में आती है. उसकी ग्रॉस इनकम उन सभी आय का योग होगी जो उसे अपना बिज़नेस करते समय प्राप्त होती है.
आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, फ्रीलांसर अपनी आय से उन खर्चों को घटा सकते हैं जो उन्हें काम पर रखने के लिए किये हैं और यह कुछ भी हो सकता है जो सीधे तौर पर फ्रीलांसर की नौकरी से संबंधित है. इसमें कार्यालय के फर्नीचर से लेकर ग्राहकों के आने-जाने का खर्च तक शामिल है.
– व्यय उस वर्ष के दौरान किया गया होगा जिसमें कर का भुगतान किया जाना है.
– व्यय पूरी तरह से और विशेष रूप से भी आय को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से खर्च किया जाना चाहिए.
– आय अवैध नहीं होनी चाहिए.
– व्यय व्यक्तिगत व्यय या फ्रीलांसर का पूंजीगत व्यय नहीं होना चाहिए.
अगर किसी विशेष वित्तीय वर्ष के दौरान कुल पेयबल टैक्स 10 हजार रुपये या उससे अधिक है, तो टैक्स पेयर्स को हर तिमाही कर का भुगतान करना जरूरी है. जिसे एडवांस टैक्स कहा जाता है.
– अपनी कुल रिसीट्स को जोड़ें और फिर अपनी कुल इनकम का निर्धारण करें.
– उन खर्चों को घटाएं जो सीधे आपके काम से संबंधित हैं.
– फिर अन्य स्रोतों से इनकम कैलकुलेट करें , उदाहरण के लिए, हाउस प्रॉपर्टी या सेविंग्स अकाउंट.
– उसके बाद, उस टैक्स स्लैब का पता लगाएं जिससे आप संबंधित हैं और फिर अपने payable tax की गणना करें.
– अगर पेयबल टैक्स 10 हजार रुपये से अधिक है, तो आपको अनिवार्य से डयू डेटस तक एडवांस टैक्स का भुगतान करना होगा.
अगर फ्रीलांसर द्वारा एडवांस टैक्स का भुगतान नहीं किया जाता है तो धारा 234B और धारा 234C के अनुसार ब्याज लागू होता है. ब्याज दंड के भुगतान से बचने के लिए नीचे दी गई गाइडलाइन्स का पालन करें-
– एडवांस टैक्स का भुगतान तभी करें जब एक वर्ष के लिए आपकी टैक्स लायबिलिटी 10,000 रुपये या अधिक हो.
– साल के 31 मार्च तक किए गए एडवांस टैक्स भुगतान , व्यक्ति के टोटल पेयबल टैक्स का 100% होना चाहिए.
जुलाई 2017 से पहले, फ्रीलांसरों पर वैट और सर्विस टैक्स लागू थे. अब इसकी जगह जीएसटी ने ले ली है.
– अगर आप सामान बेचते हैं तो टैक्स भरना पड़ेगा.
लागू जीएसटी दर वस्तुओं की प्रकृति के आधार पर तय की जाएगी. उदाहरण के लिए, अगर आप केक जैसे कन्फेक्शनरी आइटम बनाते और बेचते हैं तो जीएसटी 18% लगाया जाएगा.
– अगर आप सर्विस प्रोवाइड करते हैं तो भी टैक्स देना होगा.
यह सेवाओं की प्रकृति पर निर्भर करता है. ज्यादातर मामलों में, अधिकांश सेवाओं पर 18% GST लागू होता है. ऐसे में अपने क्लाइंट्स से GST चार्ज करने का ध्यान रखें.
(लेखक SAG इन्फोटेक के MD हैं. यहां व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं)