हमारे यहां सोेने का आपात कोष के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. थोड़ा-थोड़ा खरीद कर इकट्ठा कर लो और आड़े वक्त में जब पैसे की जरूरत हो तब इसके एवज में कर्ज ले लो अथवा बेच दो. कर्ज लेने का चलन तो सदियों से चला रहा है. पहले साहूकार, सुनार या बड़े दुकानदार सोना गिरवी रखकर कर्ज देते थे. लेकिन समय के साथ गोल्ड लोन का स्वरूप बदल रहा है. अब तमाम बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) गोल्ड के एवज में लोन दे रहे हैं. मामूली औपचारिकताएं पूरी करने पर आपको लोन मिल जाएगा. आइए समझते हैं कि गोल्ड लेने की पूरी प्रक्रिया है-
जब भी आपको गोल्ड लोन की जरूरत पड़े तो इसके लिए बैंक या फाइनेंस कंपनी की नजदीकी शाखा का चयन करें. इस पहल के जरिए आने-जाने के साथ-साथ कई और भी फायदे होंगे.
गोल्ड लोन लेने के लिए आपको अपने पास रखे सोने के सिक्के, बिस्किट या गहनों को लेकर बैंक या फाइनेंस कंपनी की शाखा में जाना होगा. यहां संस्थान के कर्मचारी इसकी शुद्धता की जांच करेंगे.
गोल्ड की शुद्धता के आधार पर संस्थान के कर्मचारी इसकी कीमत तय करेंगे. आमतौर पर बैंक और वित्तीय संस्थान सोने की कीमत का 75 फीसद तक ही लोन देते हैं.
नियमों के तहत संस्थान 18 कैरेट और इससे ऊपर की शुद्धता वाले सोने पर ही कर्ज देते हैं. 18 कैरेट से कम शुद्ध सोने पर कर्ज नहीं देते. कई संस्थान 50 ग्राम से ऊपर के सिक्के स्वीकार नहीं करते हैं.
गोल्ड लोन का आवेदन करने के लिए आपको पहचान पत्र के तौर पर आधार कार्ड या पैन की जरूरत पड़ेगी। एड्रेस प्रूफ के लिए राशन कार्ड, बिजली या टेलीफोन बिल दे सकते हैं. इसके साथ ही फोटोग्राफ भी देना होगा. कई संस्थान इनकम प्रूफ भी मांगते हैं.
आपके लिए जो गोल्ड लोन स्वीकृत हुआ है उसकी रकम आपके खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाती है. कुछ फाइनेंस कंपनियां दो लाख रुपए से कम तक की रकम कैश में दे देती हैं. उससे ऊपर की राशि एनईएफटी के जरिए सीधे खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है.
आमतौर पर कर्ज देने वाले संस्थान हर महीने ब्याज की वसूली करते हैं. लोन की अवधि पूरी होने पर एकमुश्त मूलधन जमा कराते हैं. कुछ संस्थान ईएमआई पर भी गोल्ड लोन देते हैं.
ब्याज का समय पर भुगतान न करने पर वित्तीय संस्थान पेनाल्टी लगाते हैं. यदि 14 महीने तक ब्याज का भुगतान नहीं किया है तो वह आपके सोने की नीलामी कर सकते हैं. यह काम करने से पहले कर्जदार को नोटिस जारी किया जाता है.
निर्धारित अवधि में कर्ज का भुगतान न करने पर वित्तीय संस्थान आपके गोल्ड काे जब्त कर सकते हैं। इसके बाद नीलामी करके बकाया वसूल लेते हैं। इस प्रक्रिया से बचने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इससे आपका सिबिल स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री खराब हो जाते हैं.