How to save tax if you have sold your house?महेश ने साल 2015 में 31 लाख रुपए में फ्लैट खरीदा था. अब वो उसे बेचना चाहते हैं. किसी ने उन्हें बताया कि प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स लगेगा. महेश गुस्से में हैं. पहले घर खरीदने के लिए टैक्स दो. फिर रहने पर टैक्स भरो और अब बेचने पर भी टैक्स. दरअसल, प्रॉपर्टी बिकने से हुए मुनाफे को कमाई माना जाता है. कमाई है तो टैक्स देना होगा. प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स का कैलकुलेशन कैसे होगा… टैक्स को कैसे बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं–
कैसे लगता है टैक्स?
घर या जमीन जैसी कैपिटल एसेट बेचने पर अगर मुनाफा यानी कैपिटल गेन होता है तो उस मुनाफे पर टैक्स चुकाना होता है. कैपिटल गेन पर दो तरह से टैक्स लगता है. अगर मकान 2 साल या उससे ज्यादा अपने पास रखकर बेचा जाता है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी LTCG माना जाएगा. कैपिटेल गेन पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20 फीसदी का टैक्स लगेगा.
वहीं, 24 महीने से पहले मकान बेचने से हुए लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन यानी STCG माना जाएगा. शॉर्ट टर्म गेन के केस में मुनाफा महेश की रेगुलर इनकम में जुड़ जाएगा और जिस इनकम स्लैब में महेश आएंगे उसके हिसाब से टैक्स देना पड़ेगा.
प्रॉपर्टी खरीद में क्या–क्या खर्च शामिल?
प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन के कैलकुलेशन में कॉस्ट ऑफ एक्यूजेशन यानी प्रॉपर्टी खरीदने का कुल खर्च काफी मायने रखता है. कॉस्ट ऑफ एक्यूजेशन में प्रॉपर्टी की खरीद कीमत के अलावा स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, ब्रोकरेज, अंडर–कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी के मामले में GST जैसी चीजें शामिल होती हैं. इसके अलावा, प्रॉपर्टी की मरम्मत या रेनोवेशन के लिए किया गया खर्च भी कॉस्ट ऑफ एक्यूजेशन का हिस्सा माना जा सकता है. इन खर्च को क्लेम करने के लिए आपके पास ट्रांसफर डीड, बिल समेत अन्य दस्तावेज होने चाहिए.
घर खरीदने के लिए होम लोन लिया गया है तो उस पर चुकाए गए ब्याज को भी एक्यूजेशन कॉस्ट में शामिल किया जा सकता है. हालांकि, इस रकम को पिछले सालों के इनकम टैक्स रिटर्न में डिडक्शन के तौर पर क्लेम नहीं किया गया हो.
इंडेक्सेशन का लाभ
महेश ने साल 2015 में घर खरीदा था और साल 2023 में उसे 50 लाख रुपए का बेच रहे हैं तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का मामला है. देखने में ऐसा लगता है कि घर बेचने से उन्हें 19 लाख रुपए (50 लाख-31 लाख) की कमाई हुई लेकिन, ऐसा नहीं है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के मामले उन्हें इंडेक्सेशन यानी महंगाई का फायदा मिलेगा.
LTCG टैक्स के कैलकुलेशन में प्रॉपर्टी की एक्यूजेशन कॉस्ट की इंडेक्स्ड वैल्यू यानी महंगाई के हिसाब से उसकी कीमत निकालनी होती है. इंडेक्स्ड कॉस्ट निकालने के लिए आप कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) की मदद ले सकते हैं, जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर मिलेगा.
कैसे निकलेगी प्रॉपर्टी की इंडेक्स्ड कॉस्ट?
महंगाई के हिसाब से प्रॉपर्टी की खरीद कॉस्ट निकालने के लिए जिस साल में घर बेचा जा रहा है उस साल के CII को एक्यूजेशन कॉस्ट से गुणा करना होता है फिर उसे खरीदने वाले साल के CII से भाग देना होता है
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिफाइ कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 (अस्थायी) का CII 348 जबकि साल 2015-16 का कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स 254 है… ऐसे में महेश की प्रॉपर्टी की इंडेक्स कॉस्ट 42,47,244 रुपए (31 लाख * 348/245) रुपए आएगी… ऐसे में उनका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 19 लाख रुपए न होकर 7 लाख 52 हजार रुपए होगा… जिस पर उन्हें 20 फीसदी का टैक्स देना होगा.
इंडेक्सेशन बेनेफिट के चलते महेश का टैक्स 3 लाख 80 हजार रुपए की जगह 1 लाख 50 हजार400 रुपए बनेगा. यही नहीं, महेश चाहे तो डेढ़ लाख रुपए का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स भी बच सकता है. इसके लिए उन्हें सेक्शन 54 के तहत रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदनी या बनवानी होगी. पुराना घर बेचकर उससे हुई कमाई से नया घर खरीदने पर टैक्स नहीं लगेगा. 10 करोड़ रुपए तक के कैपिटल गेन पर ही रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद कर टैक्स छूट ली जा सकती है. इससे ज्यादा के मुनाफे पर टैक्स लगेगा. अगर महेश 50 लाख रुपए से ज्यादा का नया घर खरीदते हैं तो उन्हें एक फीसदी TDS काटकर विक्रेता को पेमेंट करनी होगी.