रंजीत की तीन साल की बेटी है. वह इसे मैनेजमेंट की पढ़ाई कराना चाहते हैं. भारत में मौजूदा समय में मैनेजमेंट (MBA) की पढ़ाई का खर्च औसतन 30 लाख रुपए तक आता है. कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी से एमबीए करने की दो साल की फीस करीब 15 लाख रुपए है. मान लें कि रंजीत की बेटी 21 साल में MBA करेगी तो उस वक्त 10 फीसदी की महंगाई दर से कोर्स के लिए करीब 80 से 85 लाख रुपए की आवश्यकता पड़ेगी. विदेश से एमबीए के लिए कॉलेज फीस 40 से 50 लाख तक जा सकती है. ऐसे में 18 साल बाद दो करोड़ रुपए से ऊपर की जरूरत होगी.
क्या हैं विकल्प?
अगर रंजीत अभी 11,000 रुपए की एसआईपी (SIP) शुरू करते हैं. तो बेटी की एमबीए की फीस के लिए 18 साल में करीब 84 लाख रुपए जोड़ सकते हैं. इसी तरह, इंजीनियरिंग के लिए 15 साल में 55 लाख रुपए की पूंजी बना सकते हैं. इसमें अनुमानित रिटर्न 12 फीसदी है. म्यूचुअल फंड में रिटर्न बाजार आधारित होता है. इसलिए यह कम या ज्यादा हो सकता है. रंजीत चाहें तो अभी कम पैसे से एसआईपी शुरू कर सकते हैं और हर साल इसे बढ़ा कर अपने गोल तक पहुंच सकते हैं. बाजार में कई तरह की बच्चों से जुड़ी म्यूचुअल फंड स्कीम्स मौजूद हैं. पर ध्यान रहे कि बच्चों के भविष्य के लिए जब इक्विटी में आप निवेश करते हैं तो उस निवेश का एग्जिट प्लान भी आपके पास होना चाहिए.
अगर रंजीत फिक्स्ड रिटर्न चाहते हैं तो उनके लिए सुकन्या समृद्धि योजना का रास्ता है. बच्ची पैदा होने के 10 साल के भीतर इसमें निवेश कर सकते हैं. सरकार ने अप्रैल 2023 में ब्याज दर को 7.6 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी किया है. दरों की समीक्षा हर तिमाही होती है. ऐसे में निवेश करते वक्त 7.6 फीसदी से 8 फीसदी के रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है. हर वित्त वर्ष में अधिकतम डेढ़ लाख रुपए जमा किए जा सकते हैं… बेटी के 21 वर्ष के होने पर योजना से पूरा पैसे निकाल सकते हैं. 18 साल के होने या 10वीं पास करने (जो भी पहले हो) के बाद पढ़ाई के लिए अधिकतम 50 फीसदी पैसे निकालने की अनुमति है.
रंजीत की चिंता का समाधान तो मिल गया. म्यूचुअल फंड में निवेश उनकी बच्ची के भविष्य को संवार सकता है. लेकिन आपको म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन पर नजर रखनी होगी ताकि फाइनेंशियल गोल में शॉर्टफॉल आने पर या फिर विदेश में पढ़ाई के लिए ज्यादा खर्च होता है ऐसे में निवेश बढ़ाया जा सके. सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश और मैच्योरिटी दोनों पर टैक्स छूट है. इस योजना में इक्विटी के मुकाबले रिटर्न कम है इसलिए निवेश की रकम बढ़ा सकते हैं. रंजीत को अपने टर्म इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा में बच्ची की पढ़ाई की रकम को भी शामिल करें ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में उसकी पढ़ाई न बंद हो.