फूलचंद अपने अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट को लेकर परेशान हैं. उन्हें इसका 1500 वर्ग फुट का साइज बताया था. लेकिन देखने में बहुत छोटा लग रहा है. बिल्डर के ऑफिस जाकर पता किया तो उन्हें कुछ और ही गणित समझा दिया गया. फूलचंद का परेशान होना वाजिब है. घर कोई सामान नहीं है. जो आज पसंद नहीं आए तो कल बदल दो. फूलचंद के हिसाब से बिल्डर ने जितना एरिया बताया था, घर उतना बड़ा नहीं है.
क्या हैं नियम? दरअसल, प्रॉपर्टी का एरिया तीन तरीके से नापा जाता है. कारपेट एरिया, बिल्ट-अप एरिया और सुपर बिल्ट-अप एरिया. नतीजन, घर खरीदते वक्त आप जो पैसे दे रहे हैं और आपको जो मिल रहा है उसमें अंतर होता है. रेरा कानून के मुताबिक घर खरीदारों को फ्लैट का कारपेट एरिया और उसके हिसाब से कीमत बताना डेवलपर की जिम्मेदारी है. बेईमान डेवलपर बालकनी, टैरेस, बरामदे और खाली स्थान को कारपेट एरिया में दिखाकर फ्लैट बेच देते हैं जबकि रेरा कानून में इसकी रोक है. बिल्डर को कारपेट एरिया की जानकारी रेरा अथॉरिटी को देनी होती है.
कोविड में लोगों ने बड़े घर की जरूरत महसूस की. इसके चलते मकानों की बिक्री में तेजी आई है. प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च में करीब 1.13 लाख मकान बिके हैं जिसमें से करीब 24 फीसदी महंगे घर हैं जिनकी कीमत डेढ़ करोड़ रुपए से ऊपर है. घर की लोकेशन और एरिया यानी उसमें रहने लायक कितनी जगह है, के आधार पर ही उसकी कीमत तय होती है.
CII-एनारॉक के सर्वे के अनुसार, 42 फीसदी लोग 3BHK, 40 फीसदी लोग 2BHK, 12 फीसदी लोग 1BHK और 6 फीसदी लोग 3BHK से बड़े घर पसंद करते हैं. यह बड़े घर को लेकर लोगों की चाहत को दिखाता है. सर्वे में 4,662 लोगों ने हिस्सा लिया. अब आते हैं घर खरीदते समय सुपर बिल्ट-अप एरिया, बिल्ट-अप एरिया और कारपेट एरिया में से क्या देखना चाहिए?
सुपर बिल्ट-अप एरिया? सुपर बिल्ट-अप एरिया किसी हाउसिंग सोसाइटी या इमारत का वह क्षेत्र है, जिसे बेचा जा सकता है. सुपर एरिया में बिल्डर कारपेट एरिया के साथ टैरेस, बालकनी, दीवारों से घिरा क्षेत्र और लिफ्ट, सीढ़ी, लॉबी, पूल, क्लब हाउस, जिम, इवेंट हाल और गार्डन जैसी कॉमन यूज के निर्माण को शामिल करते हैं. सुपर बिल्ट-अप एरिया में फ्लैट का बिल्ट-अप एरिया और कामन एरिया दोनों शामिल हैं.
बिल्ट-अप एरिया बिल्ट-अप एरिया में बाहरी दीवारों से घिरा क्षेत्र आता है. इसमें फ्लैट के कारपेट एरिया के साथ पिलर, दीवारें, बालकनी, फूलों की क्यारियां जैसी चीजें शामिल की जाती हैं. बिल्ट-अप एरिया आमतौर पर कारपेट एरिया से 10 से 15 फीसदी ज्यादा होता है. कारपेट एरिया, दीवारों की मोटाई और बालकनी को जोड़कर बिल्ट-अप एरिया निकाल सकते हैं.
कारपेट एरिया कारपेट एरिया फ्लैट के उस अंदरूनी हिस्से को कहते हैं जहां आप कारपेट बिछा सकें. मतलब फ्लैट के अंदर का वह खाली स्थान जिसका इस्तेमाल आप रहने के लिए करते हैं. लिविंग या डायनिंग रूम, बेडरूम, बाथरूम, स्टडी रूम और किचन कारपेट एरिया में बनाए जाते हैं. बालकनी, टैरेस, बरामदा, सर्विस साफ्ट इसमें नहीं आते हैं… कारपेट एरिया को नेट यूजेबल एरिया भी कहते हैं.
कैसे मिलेगी सही जानकारी जब भी आप कोई फ्लैट, बिल्डर फ्लोर या बना बनाया घर खरीदें तो कारपेट एरिया जरूर चेक करें. फूलचंद की तरह बिल्डर के कहे पर भरोसा नहीं करें. कई बिल्डर प्रॉपर्टी की कीमत ज्यादा वसूलने के लिए कारपेट एरिया की जगह सुपर बिल्ट-अप एरिया बताते हैं, जिससे घर खरीदारों में भ्रम पैदा होता है. रेरा आने से इस पर लगाम लग रही है. किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर बिल्डर की शिकायत रेरा अथॉरिटी में कर सकते हैं. गड़बड़ी सही साबित होने पर बिल्डर पर जुर्माना लगाया जा सकता है.
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