गर्मी की शुरुआत हो चुकी है. तापमान लगातार बढ़ रहा है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस साल अलनीनो की आशंका है. अलनीनो यानी गर्मी ज्यादा रहेगी, सर्दी में ठंड कम होगी, बरसात के महीने में बारिश कम होगी. यानी मौसम में बड़े फेरबदल होंगे जो हमारे-आपके लिए अच्छे नहीं हैं. इस साल गर्मी की शुरुआत में ही देशभर से ऐसी खबरें आ रही हैं कि जलाशयों में पानी घट गया है. पानी घटने का सीधा मतलब ये है कि सिंचाई पर असर पड़ेगा. यानी फसलों पर असर पड़ेगा. खरीफ की फसलों की बुआई को लेकर भी संशय बढ़ रहा है. आंकडे बताते हैं कि 13 अप्रैल तक देश के 146 प्रमुख जलाशयों में पानी कम हो गया है. पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले करीब 5 फीसद कम हुआ है. इस पानी से तो खरीफ की फसलों की सिंचाई होनी थी. लेकिन अब फसलों पर इसका जो असर होगा, वो आपकी और हमारी जेब तक भी पहुंच सकता है.
कपास उद्योग पर भी असर
कपास उद्योग के संगठन CAI ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए कपास के उत्पादन अनुमान में करीब 10 लाख गांठ की कटौती की है. CAI ने देश में 303 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो 14 वर्षों में सबसे कम उत्पादन होगा. ऐसा माना जा रहा है कि कपास का उत्पादन इतना नहीं होगा कि घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके. ऐसे में अगर विदेशों से कपास को आयात किया जाता है तब इसके दामों में बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है. यानी कपास से बनने वाले कपड़ों के दाम भी बढ़ सकते हैं.
चीनी उद्योग पर भी असर
खरीफ फसलों और कपास के अलावा मौसम का असर चीनी उद्योग पर भी पड़ सकता है. को-ऑपरेटिव चीनी फैक्ट्रियों के संगठन NSF ने इस साल देश में चीनी के उत्पादन में 9 फीसद कमी का अनुमान लगाया है. NSF का अनुमान है कि इस साल 325 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा. हालांकि पिछले साल देश में 359 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. भारतीय चीनी मिल संघ का भी अनुमान है कि इस साल चीनी का उत्पादन कम रह सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि उत्पादन में 6 फीसद कमी अभी तक दर्ज की गई है. इसका प्रमुख कारण महाराष्ट्र में उत्पादन का घटना है.
चाय का उत्पादन भी कम रहेगा
गर्मी की वजह से इस साल दार्जलिंग में चाय के उत्पादन में भी कमी की आशंका है. दार्जलिंग की चाय को बेहतर बनाता है वहां का मौसम. वहां की जलवायु. लेकिन बढ़ती गर्मी के कारण और आद्रता में कमी के कारण चाय के उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है. यहां गर्मी की वजह से भूजल स्तर पर भी असर पड़ा है. आपको बता दें कि भारत दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत में असम और पश्चिम बंगाल राज्यों में चाय की खेती की जाती है. दार्जिलिंग में जो चाय उगाई जाती है, उसमें से अधिकतर को निर्यात कर दिया जाता है. अगर इस साल चाय का उत्पादन घटता है तो निर्यात पर भी इसका असर हो सकता है.
बिजली पर भी असर की आशंका
हाल के दिनों में तापमान बढ़ने की वजह से बिजली की मांग बढ़ गई है जो बिजली की कीमतों को बढ़ा रही है. कई इलाकों में बिजली कटौती की आशंका भी बढ़ गई है. बिजली की मांग बढ़ने की वजह से बीते 10 दिन में पावर एक्सचेंज पर कीमतें 10 रुपए प्रति किलोवॉट तक पहुंच गई है. दरअसल गर्मी के कारण लोगों ने कूलर और एसी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. यही कारण है कि खपत में जबरदस्त बढ़त हुई है. फिलहाल अधिकतर बिजली उत्पादन कोयले से किया जा रहा है. आने वाले वक्त में पनबिजली और पवन बिजली का उच्पादन शुरू हो जाएगा लेकिन तब तक बिजली की मांग, सप्लाई पर असर डाल सकती है.