ट्रक वाले चीजनदास और एमबीए पढ़े रामसिंह की यह कहानी आपको जरुर समझनी चाहिए. बनारस के दो लंगोटिया यार चीजनदास और रामसिंह को लोन की जरूरत थी. चीजन ट्रक आपरेटर हैं और रामसिंह खासे पढ़ लिखे. एमबीए किया लेकिन अब अपना काम करना चाहते हैं. दोनों ही पहुंच गए एक नामी बैंक के पास. बैंक ने चीजनदास को लोन दे दिया, लेकिन रामसिंह को लोन देने से इन्कार कर दिया. रामसिंह रह गए भौचक्के. मुझसे क्या दुश्मनी थी बैंक की.
दरअसल राम सिंह की नेटवर्थ ट्रक वाले चीजन की तुलना में बहुत कमजोर है.आप कहेंगे यह क्या बला है तो समझिये–
चीजनदास एक ट्रक ड्राइवर हैं. उनके पास खुदके दो ट्रक हैं. दूसरी तरफ रामसिंह एमबीए पास हैं. रामसिंह की एजुकेशन क्वालिफिकेशन तो काफी अच्छी है, लेकिन उनके पास कोई संपत्ति नहीं तो उन पर बैंक जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं रामसिंह, की पर्सनल बैलेंस शीट अच्छी नहीं है, इसलिए नहीं मिला लोन.
पर्सनल बैलेंस शीट सरल शब्दों में आपकी वित्तीय स्थिति का आइना होती है पर्सनल बैलेंस शीट. और आप कितनी संपत्ति के मालिक हैं, वह भी इसी से पता चलता है. भविष्य के बड़े खर्च में आपको कहीं पैसों की तंगी तो नहीं होगी? और होगी तो आपको उसके लिए कितना पैसा बचाना चाहिए, इसका अनुमान आपकी बैलेंस शीट से लगता है.
कुछ लोग कमाते तो बहुत हैं, लेकिन फिर भी कोई बड़ी जरूरत आ जाए, तो उनके पास पैसा नहीं होता. आपका पैसा जाता कहां है, अगर यह जानना है, तो पर्सनल बैलेंस शीट जरूर बनाइए.
तो भई कैसे बनाएं अपनी पर्सनल बैलेंस शीट? आइए जानते हैं.
सबसे पहले एक डायरी–पेन लें और कागज पर दो कॉलम बना दें. एक तरफ लिखें एसेट्स यानी संपत्ति और दूसरी तरफ देनदारी यानी लायबिलिटीज. एसेट्स में वे चीजें आती हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपकी कमाई या संपत्ति बढ़ाये और लायबिलिटीज में वे चीजें आती हैं, जो आपकी जेब को खाली करें. पर्सनल बैलेंस शीट में एसेट्स तीन प्रकार के होते हैं. लिक्विड एसेट्स, लार्ज एसेट्स और इन्वेस्टमेंट. लिक्विड एसेट्स में वे चीजें आती हैं, जो या तो नकदी के समान हो या उन्हें आसानी से बेचकर नकदी प्राप्त की जा सके.
एसेट्स
लिक्विड एसेट्स में आपको बैंक अकाउंट्स, सेविंग अकाउंट्स, मनी मार्केट अकाउंट्स में कितना पैसा है और कैश कितना है, यह डालना होगा. इमरजेंसी फंड के रूप में रखा पैसा भी इसी श्रेणी में जाएगा. अब लार्ज एसेट्स पर. इसमें आपको अपने घर व प्रॉपर्टी, अपने वाहन, आर्टवर्क, फर्नीचर आदि की मौजूदा बाजार कीमत डालनी होगी. इसके बाद इन्वेस्टमेंट की श्रेणी में आपको शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड आदि निवेश विकल्पों में किये गए अपने निवेश की मौजूदा बाजार कीमत लिखनी होगी.
लायबिलिटीज
अब दूसरे कॉलम पर आते हैं, जो है लायबिलिटीज का. इस कॉलम में वे चीजें आएगी, जिनके लिए आपकी जेब से पैसा जाता है. जैसे आपके सारे बिल्स, पेमेंट्स, नियमित खर्चे और आपकी कर्ज देनदारी यानी होम लोन, ऑटो लोन, एजुकेशन लोन, क्रेडिट कार्ड की किस्तें. इस कॉलम में करंट, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म तीनों तरह की देनदारी शामिल होगी. जोड़ डालिये दोनों कॉलम को और अपने कुल एसेट्स में से कुल लायबिलिटीज को घटा देना है. यह है आपकी नेटवर्थ यह नेटवर्थ आपको बतायेगी कि पॉजिटिव है या नेगेटिव यानी आपकी संपत्ति देनदारी से कम है या ज्यादा और कितनी कम या ज्यादा है.
मनी9 की सलाह
– अच्छी इनकम होने पर भी नेटवर्थ कम है तो समझ जाइए आप जरूरत से ज्यादा खर्चे कर रहे हैं.
– अगर आपकी नेटवर्थ निगेटिव है, तो इसका अर्थ है कि आप हैसियत से ज्यादा खर्चे कर रहे हैं.
– नेटवर्थ पॉजिटिव है और अच्छी है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.
– आप अपने एसेट्स बढ़ाकर और लायबिलिटीज को घटाकर अपनी नेटवर्थ बढ़ा सकते हैं.
– जितना हो सके, समय के साथ अपने कर्ज को कम करने की कोशिश करें.
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