कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बढ़ने के बीच ही 6 अप्रैल को इंटरनेशल मॉनेटरी फंड (IMF) ने 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 12.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया है. ये न केवल केंद्र सरकार की जाहिर की गई V शेप वाली ग्रोथ की उम्मीद की तर्ज पर है, बल्कि यह हमारे प्रतिस्पर्धी चीन की 8.6 फीसदी ग्रोथ के अनुमान से भी ज्यादा है. 2022 के लिए IMF ने अनुमान लगाया है कि भारत की ग्रोथ 6.9 फीसदी रहेगी, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था महज 5.6 फीसदी की रफ्तार से ही बढ़ पाएगी.
IMF का अनुमान सरकार के लिए बेहद राहत देने वाला है. खासतौर पर ऐसे वक्त पर जबकि कोविड महामारी की दूसरी लहर से देश की अर्थव्यवस्था को फिर से खतरा पैदा होने की आशंकाएं पैदा हो रही थीं, IMF का ग्रोथ फोरकास्ट उम्मीदें पैदा करता है. हालांकि, हमें पीछे जाकर देखना होगा कि IMF ने गुजरे वर्षों में क्या अनुमान जताए थे और क्या वे सटीक साबित हुए?
कई एजेंसियां और संस्थाएं 2021-22 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए डबल-डिजिटल ग्रोथ रेट का अनुमान लगा चुकी हैं. इनमें मूडीज का 12% का अनुमान, S&P (10%), फिच (11 फीसदी), UBS ने 11.5 फीसदी, ऑर्गनाइजेशन फॉर इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डिवेलपमेंट (12.6%) और HSBC 11.2 फीसदी शामिल हैं.
इसके उलट, रिजर्व बैंक अपने फोरकास्ट में कहीं ज्यादा कंजर्वेटिव रहा है. RBI ने 10.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है. 7 अप्रैल को RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि फोरकास्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, हालांकि उन्होंने कोविड-19 को लेकर बढ़ती अनिश्चितता का जिक्र किया है.
युनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डिवेलपमेंट भारत की ग्रोथ को लेकर सबसे ज्यादा कंजर्वेटिव रहा है. संस्था ने मौजूदा साल में भारत की ग्रोथ के लिए केवल 5 फीसदी का अनुमान रखा है.
2017-18 में भारत की ग्रोथ 7.2 फीसदी थी. IMF ने उस वक्त एक सटीक अनुमान लगाया था और अप्रैल में ही कह दिया था कि देश 7.2% की रफ्तार से आगे बढ़ेगा.
वर्ल्ड बैंक ने तब ग्रोथ का थोड़ा कम अनुमान जताया था. सितंबर 2017 में इसने अपना ग्रोथ फोरकास्ट 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया था.
2018-19 में अर्थव्यवस्था 6.8% से आगे बढ़ी. जुलाई 2018 में IMF ने अनुमान दिया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी से बढ़ेगी और इस तरह से संस्था ने अपने पहले के 7.4% के अनुमान को संशोधित कर दिया. वर्ल्ड बैंक ने जून 2018 में 7.3 फीसदी का अनुमान दिया था.
2019-20 में अर्थव्यवस्था 4.2 फीसदी से बढ़ी. इस साल भी IMF के अनुमान वास्तविक आंकड़ों से ऊंचे थे. फंड ने 6.1 फीसदी ग्रोथ का अनुमान दिया था, लेकिन बाद में जनवरी 2020 में उसने इसेे घटाकर 4.8 फीसदी कर दिया. लेकिन, तब भी ये वास्तविक आंकड़े से 60 बीपीएस ऊपर थे.
2020 में अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 8 फीसदी की गिरावट आई. तब IMF ने कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था 4.5% की दर से सिकुड़ेगी. यह आंकड़ा भी गलत साबित हुआ.
IMF ने 2021 के लिए 6 फीसदी ग्रोथ का अंदाजा लगाया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर दोगुना कर दिया है.
इसी साल जनवरी में IMF ने अनुमान लगाया था कि भारत 11.5 फीसदी से आगे बढ़ेगा. हालांकि, IMF के अनुमान कैलेंडर ईयर पर आधारित हैं, जबकि भारत अप्रैल से मार्च की साइकिल में चलता है.