साइबर धोखाधड़ी के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी, आप भी फटाफट कर लें नोट

Helpline Number: गृह मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान में सात राज्यों में सेवा का विस्तार किया है, जिसे जल्द ही देशभर के लिए संचालित किया जाएगा.

Auto debit, Auto debit payment, Auto debit payment bounces, pre-Covid levels, Bounce Rate

अक्टूबर में बाउंस रेट या असफल ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन का प्रतिशत 31.2 था. यह जनवरी और फरवरी 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है, जब बाउंस रेट क्रमश: 31.04 फीसदी और 31.46 फीसदी था

अक्टूबर में बाउंस रेट या असफल ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन का प्रतिशत 31.2 था. यह जनवरी और फरवरी 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है, जब बाउंस रेट क्रमश: 31.04 फीसदी और 31.46 फीसदी था

साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए तैयार की गई हेल्पलाइन (Helpline Number) 155260 सेवा अब पूरी तरह से काम करने लगी है. गृह मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान में सात राज्यों में सेवा (Helpline Number) का विस्तार किया है, जिसे जल्द ही देशभर के लिए संचालित किया जाएगा.

वर्तमान में सात राज्यों में संचालित

गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी और बताया कि एक अप्रैल से शुरुआती तौर पर संचालित सेवा के माध्यम से 1.85 करोड़ रुपये धोखेबाजों के हाथों में जाने से रोके गए हैं. सेवा वर्तमान में सात राज्यों में संचालित है और देश की 35 प्रतिशत आबादी को कवर कर रही है. छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बाद इसे देशभर में लागू किया जा रहा है.

हेल्पलाइन सेवा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (14सी) आरबीआई, बैंक, पेमेंट बैंक और ऑनलाइन व्यापारियों के सहयोग से चलाई जा रही है. इससे जुड़ा रिपोर्टिंग और प्रबंधन तंत्र केन्द्र ने स्वयं तैयार किया है। इसके साथ प्रवर्तन एजेंसियां, बैंक, वित्तीय बिचौलिये जुड़े हैं. हेल्पलाइन को चलाने का काम स्थानीय पुलिस करती है और रिपोर्टिंग और प्रबंधन तंत्र का प्रयोग कर धोखाधड़ी को रोकने का प्रयास करती है.

हेल्पलाइन कैसे करती है काम

हेल्पलाइन समय पर साइबर धोखाधड़ी की जानकारी प्राप्त कर उसपर त्वरित कार्रवाई पर केन्द्रित है. पैसे के ट्रांसफर का पीछा कर उसे बैंकों के माध्यम से फ्रीज किया जाता है. कोई भी व्यक्ति साइबर घोखाधड़ी का शिकार होने पर हेल्पलाइन पर कुछ बुनियादी जानकारी देकर शिकायत दर्ज करा सकता है. इसे आगे भेजकर तत्काल पैसे के लेन-देन को रोका जाता है. पीड़ित व्यक्ति को मैसेज के माध्यम से सूचित किया जाता है और 24 घंटे का समय लेने-देन की विस्तृत जानकारी देने के लिए दिया जाता है.

Published - June 18, 2021, 04:45 IST