महंगाई के मौजूदा दौर में शायद ही कोई चीज होगी जिसके दाम न बढ़े हों लेकिन प्याज की कीमत बढ़ने के बजाय घट रही है. बीते एक महीने के दौरान कीमतें करीब 19 फीसद घटी हैं और पिछले साल से तुलना की जाए तो भाव करीब 32 फीसद नीचे है.
महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में भाव घटकर 11 रुपए किलो के करीब आ गया है. किसान कह रहे हैं कि इतने कम भाव पर उनकी लागत भी नहीं निकल रही. महाराष्ट्र में प्याज किसानों का संगठन सरकारों से औसतन 25 रुपए प्रति किलो के भाव की मांग कर रहा है और भाव नहीं मिला तो 16 अगस्त से मंडी में प्याज सप्लाई रोकने की धमकी दी है.
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है और देश में पैदा होने वाले कुल प्याज की 40 फीसद से ज्यादा सप्लाई वहीं से होती है. ऐसे में महाराष्ट्र के किसानों ने प्याज की सप्लाई रोकी, तो देशभर में प्याज की किल्लत बढ़ सकती है.
इस साल देश में प्याज की रिकॉर्डतोड़ उपज हुई है जिस वजह से मंडियों में सप्लाई अधिक है और किसानों को उनकी मर्जी का भाव नहीं मिल रहा. सरकार के आंकड़े देखें तो इस साल देश में 317 लाख टन से अधिक प्याज की उपज है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 51 लाख टन ज्यादा और अबतक की सबसे ज्यादा फसल है.
प्याज का ये बढ़ा हुआ उत्पादन प्याज किसानों की जेब काट रहा है. ऊपर से विदेशों में भारतीय प्याज की मांग कमजोर है. निर्यात बढ़ने के बजाय घट रहा है. मार्च में खत्म हुए वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान 15.37 लाख टन ही प्याज का एक्सपोर्ट हो पाया है. किसान संगठन अब सरकार से प्याज निर्यात बढ़ाने के उपाय करने की मांग भी कर रहे हैं.
प्याज का भाव हमेशा से संवेदनशील रहा है. कई बार प्याज के भाव से सरकारें गिरीं और बनी भी हैं. अभी जो कीमतें घटी हुई हैं, उससे उपभोक्ताओं को तो राहत है लेकिन किसानों को नुकसान हो रहा है. ऐसे में सरकार को कोई बीच का रास्ता निकालना होगा ताकि उपभोक्ताओं की जेब भी न कटे और किसानों का फायदा भी हो सके.