राजीव सेठी की बैंक एफडी (FD) जैसे ही मैच्योर हुई उन्होंने उस पैसे को निकाल कर P2P यानी पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म पर लगा दिया. लेंडिंग प्लेटफॉर्म पर मिलने वाला 16 फीसदी का रिटर्न हर मायने में किसी भी निवेश पर मिलने वाले रिटर्न से ज्यादा था. तीन महीने तो सबकुछ ठीक चला लेकिन चौथे महीने से पेमेंट की देरी और फिर कर्ज लेने वालों के डिफॉल्ट ने रिटर्न पर फुल स्टॉप लगा दिया. यानी 16 फीसद के रिटर्न की चाहत आखिर में मूल राशि को हासिल करने का संकट पैदा हो गया.
कैसे फंस सकता है आपका रिटर्न ?
P2P प्लेटफॉर्म पर क्विक यानी जल्द लोन मिलता है. ये प्लेटफॉर्म निवेशकों को रिटर्न का वादा करते हैं और उनसे फंड जुटाते हैं. इस फंड को कर्ज के तौर पर आगे उन लोग तक पहुंचाया जाता है जिन्हें बैंक और वित्तीय संस्थान से लोन नहीं मिल पाता. इन प्लेटफॉर्म पर लो क्रेडिट रेटिंग वाले लोग लोन लेते हैं. हर पी2पी प्लेटफॉर्म पर लोन लेने वाले की प्रोफाइल बनती है. लोन लौटाने की क्षमता के आधार पर कर्जदारों की ग्रेडिंग होती है. जिस कर्जदार का प्रोफाइल कमजोर होता है उन्हें लोन पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है. पैसा जमा करने वाले ज्यादा रिटर्न के लालच में लो-क्रेडिट स्कोर वाले कैंडिडेट को चुन लेते हैं जिनके डिफॉल्ट करने का डर सबसे ज्यादा रहता है.
सतर्क रहना क्यों है जरूरी?
सुपरफाइन माइक्रोफाइनेंस के फाउंडर जितेन्द्र नेहरा कहते हैं कि इन प्लेटफॉर्म पर पैसा लगाने वालों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. कंपनी की साख देखे बिना अपनी मेहनत की कमाई इनके सुपूर्द न करें. इन प्लेटफॉर्म के बिजनेस मॉडल को चेक करें, इनका ट्रैक रिकॉर्ड देखें, कितने लोन दे रहे हैं और उससे भी ज्यादा जरूरी कि लोन की वापसी इनके प्लेटफॉर्म पर कैसी है? डिफॉल्ट रेट चेक करें और समझें कि अगर लोन डिफॉल्ट होता है तो निवेशक के पैसे लौटाने को लेकर कंपनी के पास क्या विकल्प है.
क्या कहता है RBI?
आरबीआई (RBI) के दिशानिर्देशों के मुताबिक एक व्यक्ति इस प्लेटफॉर्म पर 50 लाख रुपए से ज्यादा जमा नहीं कर सकता है. दस लाख से ज्यादा पैसे जमा करने वालो को चार्टर्ड अकाउंटेंट से अपनी नेटवर्थ का सर्टिफिकेट देना होता है. P2P प्लेटफॉर्म एक व्यक्ति से लिए गए पैसों को अलग-अलग लोगों को लोन के रूप में देता है ताकि निवेश पर जोखिम को कम किया जा सके.
लोन डिफॉल्ट का दर्द
पी2पी प्लेटफॉर्म का दावा है कि इनका डिफॉल्ट रेट 2- 3 फीसद से ऊपर नहीं जाता. लेकिन हकीकत कुछ और है. जिसे कहीं से लोन नहीं मिलता वो यहां पहुंचता है. लोन वापस नहीं करने की स्थिति में कर्जदार पर वसूली का दवाब बनाया जाता है. जो पैसों का इंतजाम कर लेता है वो पैसे वापस कर देता है लेकिन कई बार यहां से लोन लेने वाले लोग कर्ज लेकर गायब हो जाते हैं जिनसे वसूली नहीं की जा सकती. आखिर में यह लोन बट्टे-खाते में डालना पड़ता है. P2P प्लेटफॉर्म RBI की ओर से रेगुलेटड है. केंद्रीय बैंक की गाइडलाइन्स के अनुसार रिकवरी के कॉल भी कर सकते हैं और इन कंपनियों के पास वसूली के लिए अदालत जाने का विकल्प रहता है.