मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) केवी सुब्रमण्यम ने कहा है कि 2021-22 का 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य (Disinvestment Target) काफी हद तक हासिल होने योग्य है. सुब्रमण्यम ने शनिवार को कहा कि एलआईसी (LIC) के प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से ही सरकार को एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. CEA ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को लक्ष्य में रखने का जो लक्ष्य दिया गया है, उससे उतार-चढ़ाव तथा मुद्रास्फीति के स्तर को कम करने में मदद मिली है.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) को 31 मार्च, 2021 तक वार्षिक मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है.
जन स्मॉल फाइनेंस बैंक के एक वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम ने शनिवार को कहा कि 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य (Disinvestment Target) वास्तव में 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के 2.10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का शेष हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि इसमें भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (BPCL) का निजीकरण और एलआईसी का आईपीओ (LIC IPO) महत्वपूर्ण होंगे. अनुमानों के अनुसार बीपीसीएल के निजीकरण से 75,000 से 80,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं. एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) से ही एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.
सरकार बीपीसीएल (BPCL) में अपनी समूची 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने जा रही है. इसे आज की तारीख तक देश का सबसे बड़ा निजीकरण माना जा रहा है.
जहां तक एलआईसी की सूचीबद्धता (LIC IPO) का सवाल है, सरकार ने इसी सप्ताह संसद में पारित वित्त विधेयक 2021 के जरिये एलआई अधिनियिम में संशोधन कर लिया है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘विनिवेश के ये आंकड़े (Disinvestment Target) काफी हद तक हासिल होने योग्य हैं. इनमें से कई पर काम शुरू हो गया है. अगले वित्त वर्ष में इन्हें पूरा कर लिया जाएगा.’’
सुब्रमण्यम ने निजीकरण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का भी उल्लेख किया.
प्रधानमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है और उनका प्रशासन चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश (Disinvestment Target) को प्रतिबद्ध है.
सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत को अपनी वृद्धि की क्षमता को पूरा करने के लिए और बैंकों की जरूरत है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका की आबादी भारत की एक-तिहाई है लेकिन वहां 25,000 से 30,000 बैंक हैं.
भारत की दीर्घावधि की वृद्धि पर उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 10 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ने की उम्मीद है. 2022-23 में यह घटकर 6.5 से 7 प्रतिशत रह सकती है. उसके बाद अर्थव्यवस्था 7.5 से 8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.