भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण से जुड़े नियमों को आसान आसान होने जा रही है. दरअसल, नीति आयोग अंगदान और प्रत्यारोपण से जुड़ी प्रक्रिया और नियम को सरल बनाने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ ही कानूनी बाधाओं को दूर करने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने और अंगों की उपलब्धता से जुड़े डेटाबेस को मजबूत करने की दिशा में भी काम कर रहा है. सरकार का मकसद देश को अंग दान के लिए ज्यादा अनुकूल बनाने का है.
मानव अंगों की तस्करी पर लगेगी लगाम
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि मानव अंगों की तस्करी को रोकने के लिए कड़ी जांच के लिए कानूनी बाधाओं को दूर करने के लिए संबंधित कानूनों परिभाषित करना है. नीति आयोग भारत में अंगदान को प्रभावित करने वाली चुनौतियों की पहचान करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के साथ चर्चा शुरू कर चुका है. नीति आयोग जल्द ही विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए एक रोडमैप लेकर आ सकता है. गौरतलब है कि भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के तहत मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 (2014 में संशोधित) द्वारा शासित होता है.
मौजूदा कानून के तहत मृत दाताओं के अंगों का उपयोग प्रत्यारोपण के लिए तभी किया जा सकता है, जब व्यक्ति ने अपने जीवनकाल के दौरान मृत्यु के बाद अंगदान के लिए सहमति दी हो या इसका विकल्प चुना हो. इसके विपरीत नई व्यवस्था में अगर यह साबित नहीं होता कि मृत व्यक्ति ने अंगदान के लिए अपनी सहमति नहीं दी है तो भी मान लिया जाएगा कि वह अंगदान के लिए इच्छुक था.