चावल की कीमतें बढ़ते देख सरकार ने गुरुवार को बड़ा फैसला किया है. एक तरफ गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसद टैक्स लगा दिया है और दूसरी तरफ टूटे चावल के निर्यात पर भी रोक लगा दी है. सरकारी गोदामों में कम स्टॉक, धान के रकबे में आई कमी और चावल के रिकॉर्ड एक्सपोर्ट की वजह से सरकार इसके निर्यात पर टैक्स लगाने के लिए मजबूर हुई है.
दुनियाभर में भारत चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और दुनिया के लगभग 150 देशों को चावल निर्यात करता है पिछले साल 200 लाख टन से ज्यादा एक्सपोर्ट के बाद इस साल भी चावल के एक्सपोर्ट में रिकॉर्ड बढ़त देखी जा रही थी. सिर्फ 4 महीने में ही 73 लाख टन से ज्यादा चावल देश से एक्सपोर्ट हो चुका है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 9 फीसद ज्यादा है और अप्रैल से जुलाई के दौरान हुआ अबतक का सबसे ज्यादा निर्यात है.
चावल निर्यात में बढ़ोतरी ऐसे समय हो रही थी जब सरकार के गोदामों में स्टॉक लगातार घट रहा है. पहली सितंबर तक केंद्रीय पूल में चावल का कुल स्टॉक 246 लाख टन दर्ज किया गया है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 22 लाख टन कम है. सरकारी गोदामों में घटते स्टॉक की वजह से आशंका बढ़ गई है कि 80 करोड़ भारतीयों को फ्री में राशन देने वाली योजना शायद सितंबर के बाद न बढ़े.
इस साल धान का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले घटा हुआ है. 2 सितंबर तक देशभर में करीब 384 लाख हेक्टेयर में धान की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान करीब 407 लाख हेक्टेयर में फसल लग चुकी थी इस वजह से चावल उत्पादन घटने की आशंका है और उत्पादन घटने से चावल की कीमतों और बढ़ सकती हैं. रकबा घटने, सरकारी स्टॉक में चावल की कमी और बढ़े हुए एक्सपोर्ट का असर पहले ही बाजार में चावल के भाव पर दिख रहा है. पिछले 20 दिन में औसत भाव 10 फीसद से ज्यादा बढ़ चुका है. उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़े देखें तो 19 अगस्त को देश में चावल का औसत भाव 30 रुपए किलो था जो 7 सितंबर को 33.5 रुपए दर्ज किया गया.
ऐसे में चावल की महंगाई और न बढ़े और घरेलू सप्लाई में सामान्य बनी रहे इसके लिए सरकार ने गैस बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर 20 फीसद टैक्स लगाने और टूटे चावल के निर्यात पर रोक का फैसला किया है क्योंकि निर्यात होने वाले चावल में लगभग 80 फीसद हिस्सेदारी गैर बासमती चावल की होती है और उस गैर बासमती चावल में लगभग 20 फीसद हिस्सेदारी टूटे चावल की होती है.