उर्वरकों के दुरुपयोग पर सरकार सख्त

112 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लाइसेंस हुए रद्द, 30 के ख़िलाफ़ की गई FIR

उर्वरकों के दुरुपयोग पर सरकार सख्त

सरकार ने सब्सिडी वाले उर्वरकों के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए पूरे देश में जांच अभियान शुरू किया है. गैर-कृषि कार्यों के लिए सब्सिडी वाले उर्वरकों के दुरुपयोग से सरकार को नुकसान हो रहा है. पिछले छह माह में फर्टिलाइजर फ्लाइंग स्‍क्‍वायड ने 15 राज्‍यों में 370 इकाइयों का औचक निरीक्षण किया और उल्‍लंघन करने वाली 112 मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों के लाइसेंस रद्द किए हैं. स्‍क्‍वायड ने सब्सिडी वाले उर्वरक के दुरुपयोग मामले में में 30 FIR भी दर्ज कराई हैं.

जांच में खुलासा
उर्वरक मंत्रालय की टीम ने जांच के दौरान पाया कि खेती के लिए इस्तेमाल होने वाली खाद जिस पर सरकार सब्सिडी देती है इसका बड़े पैमाने पर औद्योगिक इस्तेमाल किया जा रहा था. मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दुनिया में उर्वरक संकट है. फिर भी भारत में किसानों को 2,000-2500 रुपए प्रति बैग की सब्सिडी दी जा रही है. दुरुपयोग में लगे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह वितरक हों या उपयोगकर्ता हों या आउटलेट.

कितनी सब्सिडी?
यूरिया के 45 किलो के बैग के लिए 266 रुपए का निश्चित मूल्य चुकाते हैं जबकि इसकी उत्पादन लागत लगभग 2,550 रुपए प्रति बैग आती है. शेष राशि सरकार उर्वरक इकाइयों को सब्सिडी के रूप में देती है. साथ ही देश में 3.5 करोड़ टन यूरिया की कुल सालाना मांग में से करीब 2.9 करोड़ टन यूरिया का घरेलू उत्पादन होता है और बाकी का आयात किया जाता है.

कार्रवाई की चेतावनी
जांच के दौरान इन इकाइयों से लगभग 268 नमूने लिए गए. इनमें से 120 नमूनों में नीम के तेल की मात्रा पाई गई, जिसकी अनुमति नहीं है. केवल सब्सिडी वाले कृषि ग्रेड यूरिया में नीम शामिल करने की अनुमति है. सरकार ने इकाइयों को 2015 से देश में सभी सब्सिडी वाले कृषि ग्रेड यूरिया पर 100 फ़ीसदी नीम कोटिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. केंद्रीय रसायन एवं उर्रवरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि सब्सिडी वाले खाद का गलत इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून का उल्लंघन करने वाली इकाइयों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की है.

Published - May 10, 2023, 03:39 IST