केंद्र सरकार ने ‘ऑफ-बोर्ड चार्जर’ के लिए भुगतान नहीं किए जाने के संबंध में चार मूल उपकरण विनिर्माताओं (OEM) – ओला इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी, टीवीएस मोऔर टर हीरो मोटोकॉर्प की विडा के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है. दरअसल, इसको लेकर उपभोक्ताओं की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिसे देखते हुए सरकार यह सख्ती दिखाई है. इन कंपनियों को नवंबर के अंत तक लगभग 2,00,000 ग्राहकों को कुल मिलाकर तकरीबन 278 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया गया है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि चूक करने वाली कंपनियों को आधिकारिक नोटिस भेजे जा रहे हैं. हम उनसे नवंबर के आखिर तक पैसे लौटाने या फिर दंडात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए कह रहे हैं. उद्योग मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि 288 करोड़ रुपए के कुल बकाये में से चूक करने वाली ओईएम कंपनियों द्वारा 15 अगस्त तक केवल 10 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया गया है. ऐसे में सरकार के आदेश के बाद इन कंपनियों को नवंबर तक बकाया राशि का भुगतान करना पड़ेगा.
सब्सिडी मानदंडों के लाभ और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है. अगर ये ओईएम नवंबर की समयसीमा पूरी करने में विफल रहते हैं, तो सरकार सब्सिडी का और वितरण रोक सकती है. इतना ही नहीं, इन कंपनियों को प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन प्रोत्साहन योजना – फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड ऐंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम-2) के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन पर भी प्रतिबंध लग सकता है. गौरतलब है कि फेम-2 कार्यक्रम मार्च 2024 में समाप्त होने वाला है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि चूक करने वाली ओईएम के इन चार महीने में कम भुगतान किया है.