देश के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की मांग-आपूर्ति में काफी अंतर है. कुशल पेशेवरों की इस कमी को दूर करने के लिए सरकार अब सेवानिवृत्त (Retired) कर्मचारियों को फिर से नियुक्त करने पर विचार कर रही है. इन्हें पार्ट टाइम वर्क, कंसल्टेंसी या मेंटरशिप जैसे काम सौंपे जाएंगे. सरकार पार्ट टाइम वर्क अरेंजमेंट्स के तहत सेवानिवृत्त लोगों को काम पर रखने वाले नियोक्ताओं को इनसेंटिव देने और रिटायरमेंट ऐज पॉलिसी में ढील देने जैसे कदम भी उठा सकती है.
क्या है योजना?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि भारत तेजी से बूढ़ा हो रहा है और सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि कैसे हम अपने बुजुर्गों के अनुभव का उपयोग कर युवा पीढ़ी की नौकरियों को खतरे में न आने दें. हाल ही में G20 शिखर सम्मेलन के मौके पर इस मुद्दे को लेकर एक वेबिनार में भी चर्चा की गई थी. अधिकारी ने कहा कि चर्चा के निष्कर्ष को सरकार के कौशल रणनीति पत्र में शामिल किया जा सकता है.
बता दें कई देश, विशेष रूप से जापान, स्पेन, इटली, जर्मनी और फ्रांस जैसे बुजुर्ग आबादी वाले देश इस बारे में सोच रहे हैं कि पेशेवर सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके लोगों सहित अपने पुराने कर्मचारियों के पेशेवर अनुभव का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए. साथ ही भारत में सेवानिवृत्त होने के बाद लोगों को काम पर रखने का ये प्रयास कई राज्यों और इकाईयों में शुरू भी हो चुका है. हाल ही में चार धाम यात्रा को देखते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम ने 65 साल से कम उम्र वाले रिटायर हो चुके लोगों को बस अड्डे पर काउंटर टिकट की व्यवस्था संभालने के लिए 3 महीने के लिए तैनात करने की योजना बनाई है. ओडिशा में ये नियम लागू हो गया है कि ओडिशा में प्रशासनिक विभाग वित्त विभाग से अनुमति लिए बिना प्रवेश स्तर की 50 प्रतिशत तक रिक्तियों पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को फिर से नियुक्त किया जा सकेगा. भारतीय रेलवे में भी ये पहल शुरू हो चुकी है. पिछले साल सितंबर में एनसीआर समेत सभी जोनल रेलवे को सेवानिवृत्त रेलकर्मियों की योग्यता से हिसाब से उनकी पुनर्नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया था. इसके तहत रिटायर्ड सुपरवाइजरों की भर्ती की गई थी.