बैंक खाते में तय लिमिट से कम पैसा जमा होने पर लगने वाली पेनल्टी को लेकर सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से बात कर सकती है, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. बैंकों ने ग्राहकों के बैंक खाते में लिमिट से कम बैलेंस होने पर जो पेनल्टी लगाई है, उससे सरकारी और प्राइवेट बैंकों को पिछले 5 वर्षों के दौरान 21 हजार करोड़ रुपए की रकम मिली है. कई बार ग्राहक को पता भी नहीं होता और बैंक उसके खाते से मिनिमम बैलेंस की लिमिट के नाम पर पैसे काट लेते हैं.
बैंक सिर्फ मिनिमम बैलेंस के नाम पर ही ग्राहक के खाते पैसे नहीं काटते, बल्कि SMS चार्जेज और अतीरिक्त ट्रांजेक्शन शुल्क के नाम पर भी बैंक पैसे काटते हैं और 2018 से 2023 तक बैंकों ने इसके जरिए ग्राहकों से कुल 35500 करोड़ रुपए की रकम जुटाई है. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने यह भी बताया कि सरकारी बैंक, खासकर इस तरह की वसूली नहीं करता. अधिकारी के मुताबिक बैंकों की तरफ से ग्राहकों से की जा रही इस वसूली पर सरकार रिजर्व बैंक से बात कर सकती है, उम्मीद है कि आगे चलकर बैंकों की तरफ से होने वाली इस तरह की जा रही इस वसूली में कुछ कमी आए.
रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के फंसे कर्ज की वसूली के लिए सरकार डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल्स की क्षमता को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है और इसके लिए परामर्श प्रक्रिया चल रही है, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस साल सरकार की तरफ से सरकारी जनरल बीमा कंपनियों को अतीरिक्त पूंजी उपलब्ध नहीं कराई जाएगी.