महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (MANREGA), आशा, आंगनबाड़ी और मिड डे मील में काम करने वालों के लिए अच्छी खबर है. जल्द ही इनका पैसा बढ़ सकता है. सरकार इन योजनाओं में काम करने वाले वर्कर्स की पगार बढ़ाने पर विचार कर रही है. कृषि और रूरल वर्कर्स के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-AL और CPI-RL) में सरकार बदलाव की तैयारी कर रही है. इसके लिए सरकार बेस ईयर में बदलाव करेगी. सरकार 2019 को बेस ईयर बनाएगी जो फिलहाल में 1986-87 है. उपभोग बास्केट (consumption basket) में भी बदलाव करेगी सरकार.
सीपीआई-एएल/आरएल का उपयोग विभिन्न राज्यों में कृषि और ग्रामीण मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी को संशोधित करने के लिए किया जाता है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) नए बेस ईयर के साथ नई इंडेक्स के निर्माण में मदद करने के लिए सीपीआई (एएल/आरएल) के आधार वर्ष संशोधन के लिए बाजार सर्वेक्षण कर रहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि संशोधित बेस ईयर और बास्केट का नया इंडेक्स सितंबर में लॉन्च होने की उम्मीद है.
एक दूसरे सीनियर अधिकारी के मुताबिक देश भर के 787 गांवों से आधार वर्ष मूल्य संग्रह का काम नई इंडेक्स को अंतिम रूप दिए जाने तक जारी रहेगा. अधिकारी की मानें तो श्रम ब्यूरो नए इंडेक्स के लिए बास्केट बनाने में 2011-12 में किए गए कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे के ( NSS 68th Round के ) नतीजों का इस्तेमाल करेगा. नया इंडेक्स बनने के बाद प्राइस कलेक्शन का काम शुरू किया जाएगा. मनरेगा, मिड डे मील और दूसरी योजनाओं के वर्कर्स की न्यूनतम मजदूरी में जल्द ही बड़े बदलाव होने की संभावना है. बता दें कि मनरेगा मजदूरी को 1 अप्रैल, 2020 से बढ़ाकर 202 रुपये प्रति दिन कर दिया गया है, जबकि पहले यह 182 रुपये था.