आड़े वक्त में गोल्ड लोन लें या पर्सनल लोन?

गोल्ड लोन लेने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

आड़े वक्त में गोल्ड लोन लें या पर्सनल लोन?

नोएडा की गारमेंट कंपनी में काम करने वाली गरिमा की बेटी को डेंगू हो गया. उपचार के लिए अस्पताल में मैनेजर ने पैसे जमा करने को कहा. कहीं से बंदोबस्त नहीं हो पाया तो गरिमा अपनी सोने की चेन लेकर फाइनेंस कंपनी की ब्रांच में पहुंच गईं. मामूली सी औपचारिकताएं पूरी करने पर उन्हें 30 हजार रुपए मिल गए.

अचानक जरूरत पड़ने पर लोगों के लिए गोल्ड लोन बहुत ही मददगार साबित होता है. जिन लोगों की स्थायी नौकरी नहीं है या जिनका क्रेडिट स्कोर कमजोर होता है, उनके लिए यह ज्यादा उपयोगी रहता है. लोन लेने की प्रक्रिया आसान होने की वजह से गोल्ड लोन काफी लोकप्रिय है.
गोल्ड लोन सिक्योर्ड लोन की श्रेणी में आता है इसलिए यह पर्सलोन की तुलना में सस्ता पड़ता है. इसलिए यह लोगों के बीच पसंदीदा विकल्प बनता जा रहा है. आसान प्रक्रिया होने की वजह से कोरोनाकाल में गोल्ड लोन खूब चर्चाओं में रहा है. आमतौर पर गोल्ड लोन एक से दो साल की छोटी अवधि के लिए होते हैं. कुछ मामलों में लोन की अवधि इस सीमा से ज्यादा भी हो सकती है.

आरबीआई के नियमों के तहत आप गिरवी रखे सोने के मूल्य का अधिकतम 90 फीसद तक लोन ले सकते हैं. पहले यह सीमा 75 फीसद थी. कोरोना महामारी के दौरान आम आदमी की सुविधा के लिए इस सीमा को बढ़ा दिया गया है.

दूसरी ओर पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन की श्रेणी में आता है. इस वजह से यह गोल्ड लोन की तुलना में महंगा पड़ता है. जिन लोगों के पास सोना उपलब्ध नहीं है, वह पर्सनल लोन लेकर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. बैंक और वित्तीय कंपनियां गोल्ड पर सालाना 7 से 13 फीसद की दर पर कर्ज दे रही हैं. दूसरी ओर पर्सनल लोन की ब्याज दरें 11 से 24 फीसद के बीच हैं.

गोल्ड लोन लेने का एक बड़ा फायदा बैंकों या वित्तीय कंपनियों की ओर से दिया जाने वाला प्री-पेमेंट में लचीलापन है. गोल्ड लोन के भुगतान के दो विकल्प हैं जो ज्यादातर बैंक दे रहे हैं. इनमें नियमित ईएमआई और ओवरड्राफ्ट सुविधा शामिल हैं. हालांकि, कुछ बैंक और कंपनियां उधारकर्ताओं को केवल साल के अंत में ब्याज चुकाने की अनुमति देते हैं और दूसरे साल के लिए लोन को रिन्यू करते हैं. उसे ईएमआई भी नहीं चुकानी पड़ती है.

टैक्स एवं इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि आड़े वक्त में पैसे की जरूरत पड़े तो गोल्ड लोन पर्सनल लोन लेने से बेहतर है. लोन लेने के बाद डिफॉल्ट होने की आशंका भी रहती है. ऐसे में कर्जदाता क्या एक्शन ले सकता है, इसका ध्यान रखना चाहिए। गोल्ड लोन में सिक्योरिटी रहने की वजह से यह कम ब्याज दर पर मिल जाता है.

मनी9 की सलाह

गोल्ड लोन की तुलना में पर्सनल लोन दोगुना तक महंगा साबित होता है. ऐसे में पर्सनल लोन लेने से पहले कोई सस्ता विकल्प तलाशें. हालांकि जरूरी काम के लिए कर्ज लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इस पैसे से मौज-मस्ती करने में कोई समझदारी नहीं है.

गोल्ड लोन लेने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

गोल्ड के एवज में लोन लेने का चलन सदियों पुराना है. हालांकि समय के साथ इसका स्वरूप बदलता जा रहा है. पहले साहूकार, सुनार और दुकानदार सोना गिरवी रखकर कर्ज देते थे, अब बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) लोन दे रहे हैं. कई बार गोल्ड लेते वक्त लोग ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिससे उन्हें लंबे समय तक पछताना पड़ता है. ऐसे में गोल्ड लोन लेते समय कुछ बुनियादी बातों पर गौर करना जरूरी है.

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होमलोन और पर्सनल लोन की तुलना में गोल्ड लोन की अवधि छोटी होती है. जो सात दिन से लेकर तीन साल तक की हो सकती है. ऐसे में अपने लोन चुकाने की क्षमता के आधार पर लोन की अवधि का चयन करें.
वित्तीय संस्थान मूल रकम और ब्याज का भुगतान (रीपेमेंट) करने के लिए कई विकल्प देते हैं, आप इनमें से अपनी जरूरत के हिसाब से किसी को भी चुन सकते हैं. गोल्ड लोन का भुगतान समान मासिक किस्तों (EMI) में कर सकते हैं। इसके अलावा नियमित अंतराल पर ब्याज भरने के बाद मूलधन एकमुश्त अदा कर सकते हैं. इसलिए लोन की अवधि व भुगतान का विकल्प अपनी सहूलियत से चुनें.

ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के एमडी पंकज मठपाल बता रहे हैं कि गोल्ड लोन लेते समय काफी सतर्कता बरतने की जरूरत है. आमतौर पर सोने की कीमत की तुलना में एनबीएफसी ज्यादा कर्ज दे देती हैं. jलेकिन आपको गिरवी रखे सोने की तुलना में अधिकतम कर्ज लेना चाहिए। इससे आपका जोखिम कम हो जाता है.

बानगी के तौर एक लाख रुपए मूल्य का सोना जमा किया है और सिर्फ 40 हजार रुपए का कर्ज लिया है. किसी आर्थिक संकट में फसने पर अगर आप कर्ज का समय पर भुगतान नहीं कर पाए तो यह जब्त हो सकता. ऐसे में आपको ज्यादा नुकसान हो सकता.

कर्ज न चुका पाने का गम

किसी भी अन्य लोन की तरह गोल्ड लोन को चुकाने के लिए अनुशासन जरूरी है. अगर आप निर्धारित तिथि पर भुगतान नहीं करते तो कर्जदाता दो से तीन फीसद तक का जुर्माना लगा सकता है अगर आप लोन की तीन से ज्यादा ईएमआई नहीं भरते हैं तो पेनाल्टी की रकम बढ़ जाती है. लोन देते समय फाइनेंस कंपनी जिस दस्तावेज पर साइन कराती हैं, उसमें इस शर्त का उल्लेख होता है.
इस करार के तहत अगर आप 90 दिनों तक लोन की ईएमआई नहीं चुकाते हैं तो ग्रेस पीरियड के बाद बकाया रकम की वसूली के लिए वित्तीय संस्थान आपका गिरवी रखा सोना बेच सकता है. अगर सोने की कीमत गिरती है तो कर्जदाता आपसे अतिरिक्त सोना गिरवी रखने या नकदी जमा करने के लिए भी कह सकता है.

मनी9की सलाह

गोल्ड लोन लेना तभी सही है जब आपको कुछ समय के लिए ही पैसों की जरूरत हो. घर खरीदने जैसी लंबी अवधि के लिए यह विकल्प उचित नहीं है. अगर गोल्ड लोन लेना ही है तो ब्याज दरों की तुलना जरूर करें.

कैसे तय होती है गोल्ड की वैल्यू?

जब आप बैंक या किसी फाइनेंस कंपनी में गोल्ड लोन लेने के लिए जाते हैं तो वहां आपके सोने की शुद्धता की जांच-परख की जाती है. आभूषणों का वजन, उनकी शुद्धता और सोने के बाजार भाव के आधार पर उनकी कीमत आंकी जाती है. इसके बाद, आपने जिस दिन गोल्ड लोन के लिए आवेदन किया है, उस तारीख को गहनों की मार्केट वैल्यू के आधार पर लोन की राशि तय की जाती है। अगर आप सोने के गहने गिरवी रखते हैं तो इसमें केवल सोने के हिस्से का ही आकलन किया जाता है। इसके पत्थर और दूसरे रत्नों को इस आकलन में शामिल नहीं किया जाता है.

बानगी के तौर आपके आभूषणों का वजन100 ग्राम यानी 10 तोले है। इनकी शुद्धता 20 कैरेट और 24 कैरेट सोने का बाजार भाव 50 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम है. ऐसे में आपके गोल्ड की
वैल्यू 10×50,000×20/24 = 4,16,666 रुपए होगी.
बैंक या फाइनेंस कंपनी इस 75 फीसद लोन देते हैं तो इस स्थिति में आपको 3,12,500 रुपए का लोन मंजूर होगा. अगर आप 24 कैरेट गोल्ड सिक्कों को गिरवी रखकर लोन लेते हैं तो ये सिक्के बैंक की ओर से जारी होने चाहिए. अगर आपने किसी सुनार के यहां से ये सिक्के खरीदे हैं तो ये मान्य नहीं होंगे.

Published - May 11, 2023, 11:32 IST