Fuel demand: देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते अधिकतर राज्यों ने लॉकडाउन लगाने के साथ कई प्रतिबंध लगाए. इसके चलते लोग भी अपने घरों से बाहर कम ही निकले. लॉकडाउन के दौरान अधिकांश लोग घर पर ही रहे इसके चलते उनके वाहन भी कम चले. पेट्रोलियम प्लानिंग और सरकार के एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में पेट्रोल की खपत अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई
मई में पेट्रोल की खपत घटकर 1,990,000 टन रह गई, जो जून वर्ष 2000 के बाद का सबसे निचला स्तर है. अप्रैल 2021 की तुलना में भी यह 16.5 फीसदी कम था. वहीं डीजल की खपत में भी गिरावट आई, हालांकि ये पेट्रोल जितना कम नहीं हुई. क्योंकि कई राज्यों ने बाजारों में जरूरी सामानों को उपलब्ध कराने के लिए माल को लाने व ले जाने पर कम प्रतिबंध लगाया.
मई में डीजल की खपत घटकर 5,535,000 टन हो गई, जो अक्टूबर 2020 के बाद सबसे कम है. हालांकि, अप्रैल वर्ष 2021 (6,683,000 टन) में खपत की तुलना में ये गिरावट पेट्रोल की तरह तेज थी.
एयरलाइंस उद्योग की स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की खपत घटकर 263,000 टन रह गई, जो सितंबर वर्ष 2020 के बाद सबसे कम है. अप्रैल में खपत 413,000 टन या मई में मांग की 1.57 गुना थी.
एलपीजी की खपत अप्रैल के पिछले महीने में 2,114,000 टन की तुलना में 2,168,000 टन या 2.5 प्रतिशत तक बढ़ गई. एलपीजी की खपत मई में जुलाई वर्ष 2020 से मार्च वर्ष 2021 के बीच सभी महीनों के आंकड़े से अधिक थी.
वित्त वर्ष 2021 में पेट्रो-ईंधन की मांग में 9.1% की कमी आई, जो पिछले दो दशकों में सबसे अधिक है. वास्तव में, यह पहली बार है कि देश में 1998-99 के बाद से ईंधन की खपत में गिरावट आई है.
वित्त वर्ष 2021 में जैसा कि केंद्र सरकार ने व्यवसायों, कारखानों को बंद करने और लोगों को बाहर आने से प्रतिबंधित करने के लिए देशव्यापी तालाबंदी लागू की, डीजल की खपत में भी 12% की गिरावट आई और पेट्रोल की मांग में 6.7% की गिरावट आई. जून से इन प्रतिबंधों को हटाया गया. इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद में 7.3% की गिरावट आई दर्ज की गई.