बोतलबंद पानी पर FSSAI का नया नियम ग्राहकों को देगा राहत

FSSAI ने बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनियों के लिए BIS लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है. नया नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू हो जाएगा.

Water Trouble:

pixabay: निदेशालय की डेटा प्रोसेसिंग एंड एनालिसिस यूनिट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 76 फीसदी घरों में पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति होती है, 7.5 फीसदी नलकूपों और सात फीसदी बोतलबंद पानी का इस्तेमाल होता है, जबकि 3.8 फीसदी घरों में सार्वजनिक नल का इस्तेमाल होता है और 3.3 फीसदी घर पानी के टैंकरों पर निर्भर है.

pixabay: निदेशालय की डेटा प्रोसेसिंग एंड एनालिसिस यूनिट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 76 फीसदी घरों में पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति होती है, 7.5 फीसदी नलकूपों और सात फीसदी बोतलबंद पानी का इस्तेमाल होता है, जबकि 3.8 फीसदी घरों में सार्वजनिक नल का इस्तेमाल होता है और 3.3 फीसदी घर पानी के टैंकरों पर निर्भर है.

यात्रा करने और बाहर आने-जाने के दौरान अब ज्यादातर लोग बोतलबंद पानी खरीदते हैं. हम में से बहुत सारे लोग कभी ये नहीं देखते कि पैकेज्ड पानी बनाने वाली इस कंपनी के पास FSSAI लाइसेंस है या नहीं. साथ ही हम ये भी नहीं देखते कि इसके पास BIS सर्टिफिकेशन है या नहीं. ये पानी किस गुणवत्ता वाला है और पीने के लिए सुरक्षित है या नहीं- ये कुछ भी पता नहीं होता. आम उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए खराब पानी बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है.

अब इन्हीं चिताओं को देखते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के एक नए नियम से आम उपभोक्ताओं को बड़ा फायदा होने वाला है. FSSAI ने बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियों के लिए एक सख्त नियम उतारा है. इस नियम के तहत बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनियों को BIS लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है. FSSAI का नया नियम 1 अप्रैल 2021 यानी गुरुवार से लागू हो जाएगा.
नए रेगुलेशंस के मुताबिक, बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनियों को अपने लेबल्स पर FSSAI लाइसेंस नंबर और BIS सर्टिफिकेशन प्रदर्शित करने होंगे.
दरअसल, बड़े पैमाने पर ऐसी कई कंपनियां देशभर में बोतलबंद पानी बेच रही हैं जिनके पास न तो FSSAI लाइसेंस है और न ही BIS सर्टिफिकेशन है. इस तरह का पानी आम उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
FSSAI ने BIS सर्टिफिकेशन का यह फैसला यह देखते हुए लिया गया है कि कई पैकेज्ड पीने का पानी और मिनरल वॉटर बेचने वाली कंपनियां बिना FSSAI और BIS सर्टिफिकेशन के अपना धंधा चला रही हैं. FSSAI के आदेश में कहा गया है, “पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर कंपनियों के लिए अपने लाइसेंस रिन्यूअल कराने के लिए BIS लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा.” इतना ही इन कंपनियों को अपने सालाना रिटर्न में भी BIS नंबर के ब्योरे देना जरूरी है.
इसके साथ ही अगर कोई कंपनी BIS सर्टिफिकेशन हासिल करने में नाकाम हो जाती है तो उसका FSSAI लाइसेंस भी या तो रद्द कर दिया जाएगा या फिर इसे सस्पेंड या खारिज कर दिया जाएगा.
एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 6,000 लाइसेंस्ड वॉटर बोटलिंग सेटअप हैं जिनको BIS सर्टिफिकेशन हासिल है. जबकि गैर-रजिस्टर्ड तौर पर इस सेक्टर में कामकाज कर रही कंपनियों की कोई गिनती मौजूद नहीं है. फिलहाल देश में 150 घरेलू बॉटल्ड वॉटर ब्रैंड्स हैं.
देश में अवैध रूप से बॉटल्ड पीने का पानी बना रही कंपनियों की अच्छी-खासी तादाद है और इनका धंधा फलफूल रहा है. इन्हें किसी तरह के रेगुलेशंस और नियमों के तहत काम नहीं करना पड़ता है और ऐसे में इनके पानी की गुणवत्ता को लेकर भी कुछ नहीं कहा जा सकता है. इस तरह का पीने का पानी आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है और इस लिहाज से FSSAI का नया नियम उपभोक्ताओं के लिए कारगर साबित होगा.

Published - March 31, 2021, 01:03 IST