वित्त वर्ष 2021 की हर तिमाही में कृषि क्षेत्र में ग्रोथ देखने को मिली है. यहां तक की पिछले साल पहली और दूसरी तिमाही में भी कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन भारतीय इकोनॉमी में सबसे बेहतर रहा है.
2020-21 में अच्छे माॉनसून के बदौलत अनाज का उत्पादन बढ़कर 30.34 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले 2 फीसदी ज्यादा है. पिछले साल उत्पादन 29.75 करोड़ टन था. इससे केंद्र के पास मुफ्त राशन की योजना आगे बढ़ाने की गुंजाइश बनती है.
अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली तक मुफ्त राशन की योजना जारी रखने का ऐलान किया है. तकरीबन 79.39 करोड़ लोगों को मई से मुफ्त अनाज दिया जा रहा है.
इस योजना के तहत हर व्यक्ति को हर महीने 5 किलोग्राम अनाज दिया जा रहा है. ये नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तय कोटा के अतिरिक्त ये राशन दिया जा रहा है. किसानों की ओर से भारतीय खाद्य निगम के भंडार और गोदाम भरे जा रहे हैं. केंद्र सरकार को ये स्कीम वित्त वर्ष 2022 तक जारी रखना चाहिए जिसके अंत में प्रोग्राम की समीक्षा की जाए.
बेरोजगारी के बढ़ता डेटा दिखाता है कि इस योजना को बढ़ाने की कितनी जरूरत है. महामारी की वजह से 1 फरवरी से 31 मई के बीच के 120 दिनों में 2.53 करोड़ नौकरियां जा चुकी हैं. यानी, हर सेकेंड में 2.4 नौकरियां गई हैं.
असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. इस क्षेत्र के लोगों के पास सोशल सिक्योरिटी कवर के नाम पर बड़ी सुविधाएं भी नहीं है. इसमें की श्रमिकों को दिन के 375 रुपये का न्यूनतम आय भी नही मिलता जो साल 2017-18 में एक्सपर्ट पैनल ने सुझाव दिया था. इतनी कम आय में क्या खर्च होगा और क्या बचत.
मुफ्त अनाज से ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि लोगों के पोषण में कमी ना आए. इस अनाज की जरूरत लोगों को ज्यादा है, ये भंडार में पड़े पड़े चूहे ना खा जाएं.