कीमतें बढ़ाने के बाद भी FMCG कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर बना रहेगा दबाव

FMCG:  कंपनियां विज्ञापन खर्च बढ़ा रही हैं क्योंकि देश भर में कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के खुलने के बाद अर्थव्यवस्था सुधर रही है.

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भारत के उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार यानी FMCG में एक साल पहले की तुलना में इस साल वृद्धि हुई है.

भारत के उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार यानी FMCG में एक साल पहले की तुलना में इस साल वृद्धि हुई है.

FMCG: रोजमर्रा उपयोग में आने वाले सामान बनाने वाली (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स- FMCG) कंपनियों मे कमोडिटी मुद्रास्फीति के असर को कम करने के लिए पिछली तिमाही में ही कीमतों में बढ़ोतरी की है और आने वाले वक्त में भी दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है. लेकिन इस बढ़ोतरी से कंपनियों का चालू तिमाही प्राफिट ऑफ मार्जिन ज्यादा अच्छा नहीं रहने वाला है. उपभोक्ता कंपनियों और विश्लेषकों का मानना है कि कंपनियों को जनवरी-मार्च तिमाही में कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बना रह सकता है क्योंकि कमोडिटी की लागत ऊंची बनी हुई है. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) और मैरिको जैसी कंपनियों ने चेताया है कि निकट अवधि में मार्जिन पर दबाव बना रह सकता है क्योंकि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विज्ञापन और प्रचार खर्च में भी में वृद्धि होने की उम्मीद है.

 कंपनियां विज्ञापन खर्च बढ़ा रही हैं क्योंकि देश भर में कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के खुलने के बाद अर्थव्यवस्था सुधर रही है. देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी एचयूएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी ऋतेश तिवारी ने निवेशकों से कहा, हमारा अनुमान है कि आपूर्ति श्रृंखला के इस अवरोध के कारण सामग्री की लागत पर कुछ समय असर रहेगा.

निकट अवधि में प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव रहेगा. रिन साबुन और डिटर्जेंट पाउडर बनाने वाली कंपनी ने कपड़ा धुलाई एवं घरेलू देखभाल पोर्टफोलियो में कीमतों में बढ़ोतरी की है ताकि जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान कच्चे माल की ऊंची लागत की आंशिक भरपाई की जा सके.

विज्ञापन और प्रचार खर्च बढ़ा 

तिवारी ने निवेशकों से यह भी कहा कि HUL उन श्रेणियों में कीमतों में बढ़ोतरी जारी रखे हुए है, जिनमें इनपुट लागत मुद्रास्फीति देखी जा रही है.

 मैरिको के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सौगत गुप्ता ने कंपनी के सम्मेलन में निवेशकों से कहा, सकल मार्जिन तीसरी और चौथी तिमाही में बढ़ेगा.

हालांकि ऑपरेशनल प्रॉफिट मार्जिन (operating profit margin) में सुधार केवल चौथी तिमाही में ही देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि इस तिमाही में विज्ञापन और प्रचार खर्च बढ़ने की संभावना है.

कच्चे माल की लागत दबाव में रहने की संभावना 

डोलट कैपिटल मार्केट के वाइस प्रेसिडेंट (वी-पी) रिसर्च सचिन बोबड़े ने कहा, कच्चे माल की लागत दबाव में रहने की संभावना है क्योंकि पाम ऑयल और क्रूड ऑयल छह साल में सबसे ज्यादा हैं.

बिस्किट बनाने वाली प्रमुख कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज ने जुलाई-सितंबर तिमाही में कीमतों में 4 प्रतिशत की वृद्धि की है और शेष वित्तीय वर्ष के दौरान अपने पोर्टफोलियो में एक और 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है. लेकिन कंपनी ने निवेशकों को चेतावनी भी दी है कि कीमतों में बढ़ोतरी वॉल्यूम ग्रोथ की कीमत पर आती है.

Published - November 16, 2021, 12:37 IST