केरल का अलाप्पुझा, इस वजह से बटोर रहा सुर्खियां

Floating Gardens: सुजीत ने इन जलाशयों में फैल रही जलकुंभियों का उपयोग गेंदे की खेती के लिए तैरते बगीचे बनाने में किया.

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image: PBNS, पूरी तरह से खेत का तैरता हुआ एक बेड तैयार करने में उन्हें 25 फीसदी जलकुंभियों की जरूरत होती है, जिन्हें काटकर पानी में 35 दिनों तक सड़ने के लिए छोड़ा जाता है.

image: PBNS, पूरी तरह से खेत का तैरता हुआ एक बेड तैयार करने में उन्हें 25 फीसदी जलकुंभियों की जरूरत होती है, जिन्हें काटकर पानी में 35 दिनों तक सड़ने के लिए छोड़ा जाता है.
Floating Gardens: अपने सुंदर बैकवाटर और बलखाती नहरों के लिए जाना जाने वाला केरल का अलाप्पुझा इन दिनों एक इनोवेटिव जैविक किसान की पहल के लिए काफी सुर्खियां बटोर रहा है. जी हां, यहां के बैकवाटर की पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक मानी जाने वाली जलकुंभियों की मदद से अलाप्पुझा के सुजीत नामक किसान ने तैरते बगीचे बनाए हैं. इनके जरिए वे इन दिनों गेंदे के फूलों की खेती करने में लगे हैं. महज इतना ही नहीं यह खेती पर्यटकों को भी अपनी और खूब लुभा रही है.

कचरे से धन कमाने के लिए शुरू की अभिनव पहल

केरल के अलाप्पुझा में सुजीत ने कचरे से धन कमाने के लिए एक जिज्ञासू पहल शुरू की और इन जलाशयों में फैल रही जलकुंभियों का उपयोग गेंदे की खेती के लिए तैरते बगीचे बनाने में किया. अब पर्यटकों को यह तैरते बगीचे खूब लुभा रहे हैं.

वहीं इन दिनों केरल में तेजी से फैल रही जलकुंभियों की वजह से बैकवाटर की खूबसूरती पर ग्रहण लग गया है. केवल इतना ही नहीं जलकुंभियों के कारण किसानी और नौका-विहार में भी कठिनाइयां होने लगी है.

हालांकि अलाप्पुझा के कांजीकुची क्षेत्र के रहने वाले जैविक किसान और राज्य किसान पुरस्कार विजेता सुजीत ने इस समस्या का समाधान तलाश लिया है. फिलहाल वे इसे लेकर तैरते बगीचे बनाकर एक अभिनव पहल की शुरुआत कर चुके हैं.

वेम्बनाड झील में जलकुंभी से तैरते हुए बेड्स किए तैयार

दरअसल सुजीत चाहते थे कि इन बैकवाटर कैनाल में गेंदे की खेती की जाए और इन जलकुंभियों का उपयोग इस खेती में उर्वरक के तौर पर किया जाएण्‍ इसके लिए उन्होंने वेम्बनाड झील में जलकुंभियों से तैरते हुए बेड्स तैयार किए.

उसके बाद इन तैरते हुए बेड्स के ऊपर उन्होंने गेंदे की खेती शुरू कर दी. बता दें, ओणम के मौसम में गेंदे के फूलों की भारी मांग होती है। ऐसे में यह पहल किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है.

कैसे तैयार होता है पानी पर तैरने वाला खेत ?

पूरी तरह से खेत का तैरता हुआ एक बेड तैयार करने में उन्हें 25 फीसदी जलकुंभियों की जरूरत होती है, जिन्हें काटकर पानी में 35 दिनों तक सड़ने के लिए छोड़ा जाता है.

फिर मिट्टी के साथ खराब हो चुके जलकुंभी के पौधों को कोयर बस्तों में तैरते हुए रास्तों पर जमाकर लिया जाता है. इस प्रकार पौधरोपण के लिए जलकुंभी की मदद से एक पानी पर तैरती क्यारी तैयार हो जाती है.

इसका एक और अतिरिक्त लाभ है कि इस खेती को बाढ़ से कोई खतरा भी नहीं है, जो इस क्षेत्र की एक नियमित खासियत है.

सुनहरी आभा बिखेर रहे पानी पर तैरने वाले बगीचे

इन दिनों तैरते हुए ये बगीचे सुनहरी आभा बिखेरते हुए खिल गए हैं. सुंदरता के इस पल को कैद करने के लिए सैलानियों का सैलाब उमड़ पड़ा है. कोविड काल में यह वाकयी पर्यटन के लिए एक बूस्ट अप पैकेज की तरह होगा.

सुजीत की सफलता टिकाऊ कृषि और 2022 तक किसान की आय को दोगुना करने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है. यह वास्तव में एक समावेशी मॉडल है, जो कि किसानों को अपने स्थाई दृष्टिकोण और अंतर क्षेत्रीय संबंधों के साथ समृद्धि लाता है.

Published - August 14, 2021, 03:31 IST