फेस्टिव सीजन और गाड़ियों की तगड़ी डिमांड, लेकिन क्यों थम रही है बिक्री की रफ्तार?

क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेमीकंडक्टर्स की कमी के चलते मौजूदा फिस्कल में गाड़ियों की बिक्री का अनुमान पहले के 16-17% से घटकर 11-13% रह सकता है

  • Team Money9
  • Updated Date - October 31, 2021, 05:47 IST
Festive season and strong demand for vehicles, but why is the pace of sales stopping?

इस बार दिवाली पर भारत में खरीदारी को लेकर कोविड से पहले वाले दौर का उत्साह देखा जा रहा है.

इस बार दिवाली पर भारत में खरीदारी को लेकर कोविड से पहले वाले दौर का उत्साह देखा जा रहा है.

भारतीयों में परंपरागत तौर पर फेस्टिव सीजन में गाड़ी खरीदने का क्रेज रहा है. पिछले साल कोविड ने सब कुछ गड़बड़ा दिया. कई लोगों की नौकरियां चली गईं,  तो कई की कमाई खत्म हो गई या फिर कम हो गई. लेकिन, अब देश और दुनिया महामारी से उबर रही है और ऐसे में इस बार दिवाली पर भारत में खरीदारी को लेकर कोविड से पहले वाले दौर का उत्साह देखा जा रहा है. ऑटो सेक्टर भी रिकवरी के मोड में है और उसे अच्छी बिक्री की उम्मीद है. हालांकि, सेमीकंडक्टर्स की कमी ऑटो सेक्टर में रिकवरी की आस को धुंधला कर रही है.

क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेमीकंडक्टर्स की शॉर्टेज के चलते मौजूदा फिस्कल में गाड़ियों की बिक्री की ग्रोथ का अनुमान पहले के 16-17 फीसदी के मुकाबले घटकर 11-13 फीसदी ही रह सकता है. क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में देश की टॉप 3 पैसेंजर व्हीकल कंपनियों का एनालिसिस किया गया है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चिप शॉर्टेज की वजह मारुति समेत सभी कंपनियों को प्लांट्स में शिफ्ट कम करनी पड़ रही है और हफ्ते में कुछ दिन काम बंद भी रखना पड़ रहा है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि कोविड के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और चिप की सप्लाई भी बढ़ रही है. इससे आने वाले वक्त में कंपनियों की बिक्री में भी तेजी आएगी.

सेमीकंडक्टर्स की वजह से गाड़ियों का वेटिंग पीरियड बढ़ रहा है और इसका असर कंपनियों की बिक्री पर दिखाई दे रहा है. महामारी शुरू होने के बाद से लोग अपनी गाड़ी से आवाजाही को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं और इससे गाड़ियों की डिमांड बढ़ी है. आंकड़े बता रहे हैं देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति ने पिछले साल अक्टूबर 2020 में मारुति ने 182448 कारें बेची थीं, जबकि सीएनबीसी आवाज के कराए पोल के मुताबिक, इस साल अक्टूबर में कंपनी की बिक्री महज 1,18000 यूनिट पर ही सिमट सकती है. यानी इसमें 35.3 फीसदी की गिरावट का अंदेशा है.

दूसरी तरफ, महिंद्रा एंड महिंद्रा की बिक्री में ये गिरावट 28.3 फीसदी के करीब रह सकती है. टाटा मोटर्स ने पिछले साल अक्टूबर में 52,132 गाड़ियां बेची थीं, हालांकि इस साल अक्टूबर में कंपनी की 62,700 गाड़ियां बिकने की उम्मीद है.

कारों के अलावा, बाइक्स की बिक्री में भी कंपनियों को नेगेटिव ग्रोथ का सामना करना पड़ सकता है. मसलन, बजाज ऑटो ने पिछले साल अक्टूबर में 5,12,038 गाड़ियां बेची थीं, जबकि इस दफा ये बिक्री 14.7 फीसदी घटकर 4,37,000 यूनिट ही रहने की आशंका है. इसी तरह से रॉयल एनफील्ड की बिक्री अक्टूबर में 26.7 फीसदी घट सकती है. हीरो मोटो की बिक्री में करीब 31 फीसदी की गिरावट इस बार अक्टूबर में देखने को मिल सकती है.

जानकारों के मुताबिक, डीलरों के यहां इनवेंटरी का लेवल 15-20 दिन के रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया है. लंबे वेटिंग पीरियड के चलते ग्राहक उलझन में हैं और गाड़ी खरीदने को लेकर कोई फैसला नहीं कर पा रहे हैं.

ऑटो सेक्टर एक्सपर्ट रोनोजॉय मुखर्जी कहते हैं कि फेस्टिव सीजन में गाड़ियों की अच्छी-खासी मांग है, लेकिन कंपनियां कंज्यूमर्स को गाड़ियां मुहैया नहीं करा पा रही हैं, लंबे वेटिंग पीरियड के कारण लोग भी गाड़ी खरीदने का फैसला टाल रहे हैं. मुखर्जी कहते हैं कि इस फिस्कल के अंत तक भी चिप की कमी दूर होती नहीं दिख रही है.

ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन कहते हैं कि लॉकडाउन के पीरियड में गाड़ियों की लॉन्चिंग नहीं हुई. अब इसकी शुरुआत हो रही है. उनका कहना है कि दिसंबर तक करीब 10 सस्ती कारें और 12-15 टू-व्हीलर मॉडल्स लॉन्च होने वाले हैं. धवन के मुताबिक, “चिप की शॉर्टेज के हालात में सुधार आ रहा है और आगे चलकर स्थिति के सामान्य होने के साथ बिक्री में भी इजाफा होगा.”

Published - October 31, 2021, 05:47 IST