Farmers Income: कहा जाता है कि देश की तरक्की का रास्ता गांव, खेल, खलिहान से होकर गुजरता है. यही कारण है कि केंद्र सरकार ने पिछले 7 साल में किसानों (Farmers Income) की आय को दोगुना करने के लिए कई प्रयास किए हैं. प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में भी महामारी में अधिक उपज के लिए किसानों की सराहना की.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत भारत सरकार देश के छोटे तथा सीमांत किसानों का समर्थन करते हुए, उन्हें बेहतर आजीविका के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा 1 फरवरी 2019 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के द्वारा अंतरिम बजट 2020 के दौरान की गई थी.
किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत देश के सभी छोटे तथा सीमांत किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की खेती योग्य जमीन है, उन्हें केंद्र सरकार द्वारा सालाना 6000 रुपये की आर्थिक सहायता तीन बराबर (रुपए 2000) किस्तों में प्रदान की जा रही है. यह धनराशि डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर मोड के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजी जाती है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत पहली बार में 12 करोड़ छोटे तथा सीमांत किसानों को शामिल किया गया.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के जरिए 2.25 करोड़ लाभार्थी किसानों को 31 मार्च 2019 को सीधे बैंक ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से पहली किस्त जारी की गई थी.
उसके बाद से अबतक कुछ 7 किस्तें जारी हो चुकी हैं. किसानों के लिए महामारी के बीच में भी किस्तें जारी की गई हैं, जिससे उन्हें काफी राहत मिली है.
राष्ट्रीय कृषि बाजार(ई एनएएम) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जो मौजूदा एपीएमसी मंडियों के नेटवर्क से कृषि संबंधित उपायों के लिए राष्ट्रीय बाजार के रूप में बनाया गया.
ई-नाम का कवरेज आज बढ़कर 1 हजार एपीएमसी बाजारों और एफपीओ ( फार्मर ऑर्गनाईजेशन) के संग्रह पॉइंट तक पहुंचा है.
लॉजिस्टिक सेवाओं तक डिजिटल पहुंच में सुधार के लिए ‘किसान रथ’ मोबाइल एप भी लॉन्च किया गया. इस एप पर 30 अप्रैल तक 1,73,13,301 सेवा प्रदाता, व्यापारी, एफपीओ किसान और कमीशन एजेंट रजिस्टर्ड हो चुके हैं.
इसके माध्यम से देशभर के किसान पूरे देश में अपने कृषि उत्पादों को खरीद-बेच सकते हैं.
जैसा कि हम जानते हैं अगर फसल को उचित मात्रा में पानी नहीं मिलेगा तो वह खराब हो जाती है, जिससे किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य “देश के हर खेत को पानी” पहुंचाना है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से ज्यादा बल, जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग पर है, ताकि बाढ़ और सूखे के आवेग से होने वाले नुकसान की रोकथाम की जा सके.
ऐसा करने से उपलब्ध संसाधनों का कुशल उपयोग हो सका और साथ ही किसानों को अधिक पैदावार मिली, जिससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हुई है.
सरकार इस योजना के अंतर्गत पानी के स्रोत जैसे कि जल संचयन, भूजल विकास आदि का निर्माण करवाती है. इसके अलावा यदि किसान द्वारा सिंचाई के उपकरण खरीदे जाते हैं तो उनको सब्सिडी भी प्रदान की जाती है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत देश के किसानों को किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल में बर्बादी होने पर बीमा प्रदान किया जाता.
इस योजना का क्रियान्वयन भारतीय कृषि बीमा कंपनियों द्वारा किया जाता है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में केवल प्राकृतिक आपदा जैसे कि सूखा पड़ना, ओले पड़ना आदि शामिल है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 8,800 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है. इस योजना के अंतर्गत किसानों को खरीफ फसल का 2% और रबी फसल का 1.5% भुगतान बीमा कंपनी को करना होता, जिस पर उन्हें बीमा प्रदान किया जाता है.
इस योजना के तहत अतिरिक्त प्रीमियम की राशि राज्य एवं भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाती है और पूर्वोत्तर राज्यों में 90 फीसदी प्रीमियम की राशि भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाती है.
इस योजना में बुवाई के पहले से लेकर कटाई के बाद तक का पूरा समय शामिल किया गया है.
सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में देश के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई. इस योजना के अंतर्गत देश के किसानों की जमीन की मिट्टी की गुणवत्ता का अध्ययन करके एक अच्छी फसल प्राप्त करने में सहायता दी जाती.
इस स्कीम के तहत किसानों को एक हेल्थ कार्ड दिया जाता है, जिसमें किसानों की जमीन की मिट्टी किस प्रकार की है इसकी जानकारी दी जाती है, जिससे किसान अपनी जमीन की मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर अच्छी फसल की खेती कर सके.
भारत सरकार ने इस योजना के तहत 568 करोड़ रुपये का बजट तय किया है. देश के सभी किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.
केंद्र सरकार द्वारा अब तक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण के पहले चरण (वर्ष 2015 से 2017) में 10.74 करोड़ कार्ड और दूसरे चरण (वर्ष 2017-2019) में 11.69 करोड़ कार्ड वितरित किये गए हैं.
मिट्टी के गुणवत्ता का पता चलने से किसान उसी अनुसार फसल करते हैं और अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.
परंपरागत कृषि विकास योजना, सरकार ने आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की है. दरअसल, सरकार का मानना है रासायनिक खेती की वजह से एक तरफ मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर असर पड़ रहा है, वहीं मानव स्वास्थ्य पर भी इसका विपरीत असर पड़ रहा है.
इसी के चलते मार्च 2015 में यह योजना शुरू की गई. इसका उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ाना है. इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने लगभग 300 करोड़ रुपये का बजट पास किया है. आपको बता दें, यह बजट पूरे भारत के किसानों के लिए है.
इस योजना में किसानों को सीधे पैसा नहीं दिया जाता है, बल्कि जैविक ग्राम या जैविक समूह बनाकर किसानों तक इस योजना का लाभ पहुंचाया जाता है.
यह योजना सिंगल किसान की बजाय एक क्लस्टर यानी एक ग्रुप के लिए है. एक क्लस्टर में 50 एकड़ जमीन होगी, जिसमें कम से कम 20 और अधिक से अधिक 50 किसान शामिल हो सकते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में वाणिज्यिक जैविक खेती के विकास के लिए एक योजना शुरू की थी, जिसे बाद में ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन’ (Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region- MOVCDNER) के रूप में जाना जाने लगा.
यह योजना 134 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक आवंटन के साथ शुरू हुई थी और पिछले पांच वर्षों के दौरान इसने अब तक 74,880 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया है.
इस योजना को आगे बढ़ाते हुए पूर्वोत्तर के राज्यों में पारंपरिक फसलों को उगाने और मूल्य बढ़ाने के अलावा अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को इसके साथ जोड़ना निर्धारित किया गया है. इस योजना से पूर्वोत्तर के किसानों को काफी राहत मिली है.
10 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का शुभारंभ किया था. PMMSY मत्स्य क्षेत्र पर केंद्रित एक सतत् विकास योजना है, जिसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है.
इस योजना पर अनुमानित 20,050 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है. इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मत्स्य उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना और मत्स्य निर्यात से होने वाली आय को 1,00,000 करोड़ रुपए तक पहुंचाना है.
साथ ही इसके माध्यम से मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय को दोगुनी करना और मत्स्य पालन क्षेत्र में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना प्रमुख उद्देश्य हैं.
आजादी के बाद से ही देश में किसानों की उपेक्षा होती आई है. वर्तमान सरकार ने इस हालत को बदलने की ठानी और पिछले सात साल से इस दिशा में एक से बढ़कर एक कदम उठाए हैं.
इससे किसानों को न सिर्फ आर्थिक मदद मिली बल्कि सामाजिक रूप से भी सशक्त हुए हैं.